बांग्लादेश में हाई कोर्ट ने आज संसदीय चुनाव करवाने के लिए गैर दलीय कार्यवाहक सरकार प्रणाली के संवैधानिक प्रावधान को बहाल कर दिया। यूनाइटेड न्यूज ऑफ बांग्लादेश-यूएनबी की रिपोर्ट के अनुसार अदालत ने कहा कि बांग्लादेश के संविधान के 15वें संशोधन में इसके मौलिक ढांचे का खंडन किया गया और प्रमुख लोकतांत्रिक सिद्धांतों से समझौता किया गया । इस संशोधन में इस बात पर बल दिया गया है कि कार्यवाहक सरकार प्रणाली को बहाल करने में कोई कानूनी बाधा नहीं है।
हाई कोर्ट में न्यायाधीश फराह महबूब और न्यायाधीश देबाशीष राय चौधरी की एक पीठ ने बहु चर्चित 15वें संशोधन और कार्यवाहक सरकार प्रणाली के समापन पर आज अपना फैसला सुनाते हुए यह टिप्पणी की।
हाई कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि संविधान का सार लोकतंत्र में निहित है। लोकतंत्र को स्वतंत्र, निष्पक्ष और विश्वसनीय चुनाव के जरिए सुनिश्चित किया जा सकता है। यूएनबी की खबरों के अनुसार अदालत ने कहा कि राजनीतिक सहमति के जरिए लागू की गई कार्यवाहक सरकार प्रणाली संविधान के मौलिक ढांचे का एक आवश्यक घटक बन चुकी है।
बांग्लादेश के कार्यवाहक सरकार एक अनिर्वाचित अंतरिम सरकार है, जिसे स्वतंत्र और निष्पक्ष आम चुनाव करवाने की जिम्मेदारी दी गई है। प्रधानमंत्री के स्थान पर सरकार प्रमुख, मुख्य सलाहकार की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
वर्ष 2011 में प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग की नेतृत्व वाली सरकार ने 15वें संविधान संशोधन में कार्यवाहक सरकारों की व्यवस्था को समाप्त कर दिया था। उनके इस कदम की विभिन्न राजनीतिक धड़ों और नागरिक समाज के समूहों में काफी आलोचना हुई थी।
डेली स्टार समाचार पत्र लिखता है कि अपने फैसले में हाई कोर्ट ने 15वें संशोधन अधिनियम के प्रावधानों में हस्तक्षेप नहीं किया है। यह अधिनियम धर्म-निरपेक्षवाद, समाजवाद, राज्य क्षेत्र, राष्ट्रवाद, राष्ट्रपिता और संसद में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की संख्या सहित राज्य के सिद्धांतों पर कार्य करता है। इस तरह आने वाली सरकारें इन मुद्दों को लेकर अपने निर्णय लेंगी।
कानूनी और राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि हाई कोर्ट का फैसला कार्यवाहक सरकार के ढांचे को बहाल करने का रास्ता दिखाता है। बहुत से लोगों का मानना है कि अदालत का यह फैसला राष्ट्र की लोकतांत्रिक स्थिरता सुनिश्चित करने और विश्वसनीय चुनाव करवाने के लिए निर्णायक होगा।