प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि छठ का महापर्व संस्कृति, प्रकृति और समाज के बीच की गहरी एकता का प्रतीक है। आकाशवाणी से मन की बात कार्यक्रम में आज प्रधानमंत्री ने छठ पर सभी लोगों विशेष रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वांचल के लोगों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि समाज का प्रत्येक वर्ग छठ घाटों पर एक साथ आकर भारत की सामाजिक एकता का सबसे सुंदर उदाहरण प्रस्तुत करता है।
श्री मोदी ने कहा कि पूरा देश उत्सव की भावना में डूबा हुआ है और श्रद्धा, स्नेह तथा परंपरा का संगम देखने को मिल रहा है। उन्होंने छठ के दौरान महिलाओं के व्रत रखने के समर्पण और निष्ठा को प्रेरणादायक बताया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने हाल ही में सभी नागरिकों को एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने इस वर्ष के त्यौहारों को और अधिक जीवंत बनाने वाली देश की उपलब्धियों का उल्लेख किया था। प्रधानमंत्री ने बताया कि इसके उत्तर में कई नागरिकों ने उन्हें संदेश भेजे हैं।
श्री मोदी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने प्रत्येक भारतीय को गौरवान्वित किया है। उन्होंने कहा कि इस बार एक समय माओवादी आतंक से प्रभावित इलाकों में भी खुशी के दीये जलाए गए। उन्होंने कहा कि लोग अपने बच्चों के भविष्य को खतरे में डालने वाले माओवादी आतंक का पूर्ण रूप से उन्मूलन चाहते हैं।
प्रधानमंत्री ने वस्तु और सेवा कर – जीएसटी बचत उत्सव को लेकर लोगों में उत्साह पर खुशी व्यक्त की। त्यौहारों के मौसम में स्वदेशी वस्तुओं की जबरदस्त खरीदारी पर भी उन्होंने खुशी जताई। श्री मोदी ने कहा कि पत्र में सभी से खाद्य तेल की खपत में 10 प्रतिशत की कमी करने के आग्रह पर सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है।
प्रधानमंत्री ने स्वच्छता के प्रयासों से संबंधित देश के विभिन्न शहरों की कुछ प्रेरक कहानियों का उल्लेख किया। उन्होंने छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में प्लास्टिक कचरे की सफाई के लिए शुरू की गई अनूठी पहल का हवाला दिया। श्री मोदी ने कहा कि अंबिकापुर में कचरा कैफे चलाए जा रहे हैं, इनमें लोगों को प्लास्टिक कचरे के बदले भरपेट भोजन दिया जाता है। ये कैफे अंबिकापुर नगर निगम संचालित करता है।
श्री मोदी ने बेंगलुरू की झीलों को नया जीवन देने के लिए अभियान शुरू करने वाले कपिल शर्मा का उदाहरण दिया। कपिल की टीम ने बेंगलुरु और आसपास के इलाकों में 40 कुओं और छह झीलों का जीर्णोद्धार किया है। उन्होंने अपने इस अभियान में उद्योग जगत और स्थानीय लोगों को भी शामिल किया है। प्रधानमंत्री कहा कि ये प्रेरणादायक उदाहरण दर्शाते हैं कि जब लोग दृढ़ निश्चयी होते हैं तो परिवर्तन अवश्य होता है।
मैंग्रोव के महत्व के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि मैंग्रोव समुद्र के खारे पानी और दलदली भूमि में उगते हैं और समुद्री व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। श्री मोदी ने कहा कि सुनामी और चक्रवात जैसी आपदाओं के समय ये मैंग्रोव सहायक सिद्ध होते हैं। उन्होंने बताया कि गुजरात के वन विभाग ने मैंग्रोव के लिए एक विशेष अभियान चलाया है। वन विभाग की टीमों ने पांच वर्ष पहले अहमदाबाद के पास ढोलेरा में मैंग्रोव लगाना शुरू किया था और आज, ये मैंग्रोव ढोलेरा तट पर साढ़े तीन हज़ार हेक्टेयर में फैल चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप डॉल्फ़िन की संख्या में वृद्धि हुई है और केकड़ों तथा अन्य जलीय जन्तुओं की संख्या में भी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि प्रवासी पक्षी भी अब बड़ी संख्या में इस क्षेत्र में आ रहे हैं।
श्री मोदी ने कहा कि ढोलेरा के अलावा, गुजरात के कच्छ में भी मैंग्रोव वृक्षारोपण का कार्य जोर-शोर से चल रहा है। कोरी क्रीक में एक ‘मैंग्रोव लर्निंग सेंटर’ भी स्थापित किया गया है। प्रधानमंत्री ने लोगों से पेड़ लगाने और ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान को और प्रोत्साहन देने का आग्रह किया।
श्री मोदी ने सुरक्षा एजेंसियों के भारतीय नस्ल के कुत्तों को अपनाने में सराहनीय प्रयास करने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सीमा सुरक्षा बल – बीएसएफ और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल – सीआरपीएफ ने अपनी टुकड़ियों में भारतीय नस्ल के श्वानों की संख्या बढ़ाई है। श्री मोदी ने इस बात पर भी संतोष व्यक्त किया कि बीएसएफ ने अपने श्वानों को विदेशी नामों की जगह अब भारतीय नाम देने की परंपरा शुरू कर दी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे स्वदेशी श्वानों ने अद्भुत साहस का परिचय दिया है। पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ के माओवाद प्रभावित इलाके में गश्त के दौरान सीआरपीएफ के एक स्वदेशी श्वानों ने आठ किलोग्राम विस्फोटक का पता लगाया था। श्री मोदी ने इस दिशा में बीएसएफ और सीआरपीएफ के प्रयासों के लिए बधाई दी।
सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। श्री मोदी ने कहा कि इस अवसर पर प्रत्येक वर्ष गुजरात के एकता नगर में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के पास विशेष समारोह आयोजित किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर एकता दिवस परेड में भारतीय कुत्तों की क्षमताओं का एक बार फिर प्रदर्शन किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने लोगों से इस परेड को ज़रूर देखने का आग्रह किया।
श्री मोदी ने कहा कि सरदार पटेल की 150वीं जयंती पूरे देश के लिए विशेष है। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल आधुनिक समय में राष्ट्र की महानतम विभूतियों में थे और उनके विशाल व्यक्तित्व में अनेक गुण शामिल थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘खेड़ा सत्याग्रह’ और ‘बोरसाद सत्याग्रह’ सहित अनेक आंदोलनों में सरदार पटेल के योगदान को आज भी याद किया जाता है। उन्होंने कहा कि उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के रूप में उनके योगदान के लिए राष्ट्र सदैव उनका ऋणी रहेगा।
श्री मोदी ने कहा कि सरदार पटेल ने भारत के नौकरशाही ढाँचे की भी मज़बूत नींव रखी। उन्होंने सभी से 31 अक्टूबर को देश भर में आयोजित होने वाली रन फॉर यूनिटी में भाग लेने का आग्रह किया।
श्री मोदी ने ओडिशा की कोरापुट कॉफ़ी के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि कोरापुट कॉफ़ी का स्वाद अद्भुत है और इसकी खेती से इस क्षेत्र के लोगों को लाभ हो रहा है। उन्होंने कहा कि कोरापुट में कुछ लोग अपनी नौकरी छोड़ कर सफलतापूर्वक कॉफ़ी की खेती कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई महिलाओं के जीवन में कॉफ़ी से सुखद बदलाव आया है। श्री मोदी ने कोरापुट कॉफ़ी को ओडिशा का गौरव बताया।
प्रधानमंत्री ने भारतीय कॉफ़ी के दुनिया भर में लोकप्रिय होने पर गर्व व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर भी कॉफ़ी की खेती में प्रगति कर रहा है, जिससे दुनिया भर में भारतीय कॉफ़ी की पहचान और मज़बूत हो रही है।
प्रधानमंत्री ने भारत के राष्ट्रीय गीत – वंदे मातरम की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह देशभक्ति शब्दों से परे एक भावना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वंदे मातरम गीत उस अमूर्त भावना को मूर्त रूप देता है। वंदे मातरम की रचना बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने सदियों की गुलामी से कमजोर भारत में नई जान फूंकने के लिए की थी।
श्री मोदी ने कहा कि वंदे मातरम भले ही 19वीं शताब्दी में लिखा गया हो, लेकिन इसकी आत्मा भारत की हज़ारों साल पुरानी अमर चेतना से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि 7 नवंबर को देश वंदे मातरम के उत्सव के 150वें वर्ष में प्रवेश करेगा। इस गीत की रचना 150 वर्ष पहले हुई थी और 1896 में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने इसे पहली बार गाया था।
पीएम मोदी ने सभी से वंदे मातरम के महिमामंडन के लिए प्रयास करने और हैशटैग वंदेमातरम 150 के साथ सुझाव भेजने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने संस्कृत के बारे में कहा कि यह एक समय में यह संचार की भाषा थी। उन्होंने कहा कि उस दौर में संस्कृत में अध्ययन और शोध होते थे और नाट्य मंचन भी संस्कृत में होते थे। उन्होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया कि गुलामी के दौर में और आज़ादी के बाद भी संस्कृत की लगातार उपेक्षा की गई।
प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि संस्कृति जगत और सोशल मीडिया ने संस्कृत को नया जीवन दिया है। उन्होंने संस्कृत से जुड़े रोचक कार्य करने वाले लोगों के उदाहरण दिए।
श्री मोदी ने यश सालुंके नाम के युवा कंटेंट क्रिएटर का ज़िक्र किया, जिनकी संस्कृत में बोलते हुए क्रिकेट खेलने वाली रील काफ़ी लोकप्रिय हुई है। उन्होंने दो बहनों – कमला और जान्हवी – का भी उदाहरण दिया, जो अध्यात्म, दर्शन और संगीत पर कंटेंट बनाती हैं।
इंस्टाग्राम पर ‘संस्कृत छात्रोहम’ नामक एक अन्य चैनल संस्कृत से संबंधित जानकारी प्रदान करता है, साथ ही संस्कृत में हास्य वीडियो भी बनाता है। श्री मोदी ने समष्टि के बारे में भी बात की, जो सोशल मीडिया पर संस्कृत में अपने गीतों को विभिन्न स्वरूपों में प्रस्तुत करती हैं। प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि युवा अब संस्कृत के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहे हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि 22 अक्टूबर को कोमाराम भीम की जयंती मनाई गई। उन्होंने युवाओं से क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी कोमाराम भीम के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने का आग्रह किया। कोमाराम भीम अपने रणनीतिक कौशल के कारण निज़ाम के अन्यायपूर्ण शासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गए थे। उन्होंने कहा कि कोमाराम भीम केवल 40 वर्षों तक जीवित रहे, लेकिन उन्होंने अनगिनत लोगों, विशेषरूप से जनजातीय समुदाय के दिलों पर एक अमिट छाप छोड़ी।
भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस मनाया जाएगा। प्रधानमंत्री ने भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि देश की आज़ादी और जनजातीय समुदाय के अधिकारों के लिए उनके कार्य अद्वितीय है। उन्होंने सभी से जनजातीय समुदाय की महान विभूतियों, जैसे भगवान बिरसा मुंडा और कोमाराम भीम, के बारे में पढ़ने का आग्रह किया।
तेलंगाना के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आकाशवाणी से मन की बात में आदिवासी योद्धा, कोमाराम भीम के योगदान को याद करने पर प्रसन्नता व्यक्त की है। आकाशवाणी समाचार से बातचीत में कोमाराम भीम के पड़पोते कोमाराम सोनेराव ने कोमाराम भीम के योगदान का उल्लेख करने के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया।
कोमाराम भीम आसिफाबाद जिले के सेवानिवृत्त मंडल शिक्षा अधिकारी, एन शंकर ने आकाशवाणी समाचार को बताया कि जनजातीय और अन्य लोगों के अधिकारों की रक्षा में उनके अपार योगदान के लिए कोमाराम भीम का भगवान की तरह सम्मान किया जाता है। उन्होंने कहा कि मन की बात में प्रधानमंत्री के उल्लेख से पूरे जिले को पहचान मिली है।
कोमाराम भीम आसिफाबाद ज़िले के जनकपुर हाई स्कूल के अध्यापक डी. वेंकटेश्वर राव ने कहा है कि जनजातीय योद्धा कोमाराम भीम की जल, जंगल और ज़मीन के लिए निज़ाम शासकों के विरूद्ध लड़ाई आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा है। आकाशवाणी समाचार से बातचीत में श्री राव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आज मन की बात कार्यक्रम में कोमाराम भीम का ज़िक्र करने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह पूरे ज़िले के लिए गर्व की बात है।