सर्वोच्च न्यायालय ने डिजिटल अरेस्ट के घोटालों पर गंभीरता से विचार करते हुए केंद्र और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो- सीबीआई से जवाब मांगा है। सर्वोच्च न्यायालय ने ऐसे मामलों का स्वतः संज्ञान लिया है, जिनमें धोखेबाज़ कानून प्रवर्तन एजेंसियों या न्यायिक अधिकारियों का रूप धारण करके नागरिकों, विशेषकर वरिष्ठ नागरिकों से धन उगाही करते हैं।
यह कार्रवाई हरियाणा के अंबाला की 73 वर्षीय महिला की शिकायत पर की गई। महिला ने कहा कि घोटालेबाजों ने सर्वोच्च न्यायालय के जाली आदेशों का इस्तेमाल कर उसे तथाकथित डिजिटल अरेस्ट में फंसाया और एक करोड़ रुपये से अधिक की उगाही की।
न्यायालय ने कहा कि फर्जी अदालती आदेशों का इस्तेमाल न्यायपालिका में जनता के विश्वास की नींव पर हमला है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई को संबोधित अपनी शिकायत में, महिला ने दावा किया कि धोखेबाजों ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश का जारी एक फर्जी आदेश पेश किया।