सर्वोच्च न्यायालय ने आज राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता सूचकांक के स्तर में सुधार आने तक वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए चरण-4 के ग्रेडेड रेस्पोंस एक्शन प्लान के तहत लगाए गए आपातकालीन प्रतिबंधों में ढील देने से इंकार किया।
इस महीने की पांच तारीख तक मामले को आगे बढाते हुए न्यायाधीश अभय एस. ओका और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय बृहस्पतिवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक के स्तरों की जांच करेगा और गुणवत्ता में सुधार की जांच भी करेगा।
न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ग्रैप-4 के तहत कार्यान्वित प्रतिबंधों में सरकारी एजेंसियों, नागरिक निकायों और पुलिस के बीच समन्वय की कमी का भी उल्लेख किया। इसके अलावा, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के मुख्य सचिवों को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए उपस्थित होकर यह बताने का अनुरोध किया गया कि प्रतिबंधों के कारण काम से वंचित निर्माण श्रमिकों को कोई मुआवजा दिया गया है या नहीं।
दिल्ली और इसके आस-पास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने न्यायालय को एक रिपोर्ट सौंपते हुए अनुरोध किया कि आपातकालीन प्रतिबंधों को ग्रैप-4 से ग्रैप-2 कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि कल वायु गुणवत्ता सूचकांक -ए क्यू आई 285 के मान के साथ खराब श्रेणी में था, जबकि 32 दिनों तक यह 400 से अधिक गंभीर या 300 से अधिक बहुत खराब श्रेणी में रहा था।