सर्वोच्च न्यायालय ने भारत संचार निगम लिमिटेड- बीएसएनएल पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के एक फैसले को चुनौती देने वाली पूरी तरह से औचित्यहीन याचिका दायर करने के लिए एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह याचिका पवन ठाकुर नाम के एक व्यक्ति से संबंधित थी, जो अपने माता-पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति की मांग कर रहा था। पवन ठाकुर के माता-पिता दोनों बीएसएनएल के कर्मचारी थे।
न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और एस.वी.एन. भट्टी की अध्यक्षता वाली अदालत ने इस पर कड़ी असहमति जताई और बीएसएनएल को दो सप्ताह के भीतर ठाकुर को सीधे एक लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया। अदालत ने चेतावनी दी कि ऐसा न करने पर आगे की कार्रवाई की जा सकती है। बीएसएनएल को याचिका दायर करने वाले अधिकारी से राशि वसूलने की भी अनुमति दी गई।
ठाकुर की अनुकंपा नियुक्ति के दावे को बीएसएनएल ने 2010 में शुरू में खारिज कर दिया था, लेकिन केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण- कैट ने 2018 में उनकी नियुक्ति का आदेश दिया था। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने अप्रैल 2023 में बीएसएनएल की अपील खारिज कर दी, जिसके बाद याचिका सर्वोच्च न्यायालय में दायर की गई, जिसे अब जुर्माने के साथ खारिज कर दिया गया है।