सर्वोच्च न्यायालय ने कई राज्यों में चल रहे मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण -एसआईआर अभियान में लगे बूथ स्तरीय अधिकारि- बीएलओ पर कार्यभार कम करने के लिए कई निर्देश जारी किए। समयबद्ध एसआईआर अभियान में लगे बीएलओ पर अत्यधिक काम के दबाव का आरोप लगाने वाली एक याचिका पर संज्ञान लेते हुए, शीर्ष न्यायालय ने राज्य सरकारों को उनके काम के घंटों को आनुपातिक रूप से कम करने के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती पर विचार करने का निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि राज्य सरकारों और राज्य चुनाव आयोगों द्वारा तैनात कर्मचारी ऐसे कर्तव्यों का पालन करने के लिए बाध्य हैं, इसलिए जब भी बीएलओ को कठिनाइयों का सामना करना पड़े, राज्य सरकारों को हस्तक्षेप करना चाहिए। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकारें एसआईआर अभियान के दौरान चुनाव आयोग के लिए आवश्यक कार्यबल तैनात करने के लिए बाध्य हैं। न्यायालय अभिनेता-राजनेता विजय के नेतृत्व वाली तमिलगा वेत्री कझगम (टीवीके) की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह समयबद्ध तरीके से कर्तव्य का पालन नहीं करने वाले बीएलओ के खिलाफ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत दंडात्मक कार्रवाई न करे । काम के दबाव के कारण उनमें से कई ने आत्महत्या कर ली है।
चुनाव आयोग ने अक्टूबर में नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में एसआईआर का दूसरा चरण शुरू किया था। इस व्यापक प्रक्रिया में लगभग 51 करोड़ मतदाता शामिल होंगे।
Site Admin | दिसम्बर 4, 2025 8:02 अपराह्न | workload of BLOs
सुप्रीम कोर्ट: एसआईआर अभियान में बीएलओ का कार्यभार कम करने पर राज्यों से विचार करने का निर्देश