श्रीलंका की संसद ने पूर्व राष्ट्रपतियों और उनकी विधवाओं के लिए राज्य द्वारा वित्तपोषित भत्तों को समाप्त करने वाला विधेयक पारित कर दिया है। यह सार्वजनिक व्यय पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से लिया गया है।
राष्ट्रपति अधिकार (निरसन) विधेयक के पक्ष में 151 मत जबकि, विपक्ष में एक मत मिलने के बाद अध्यक्ष डॉ. जगत विक्रमरत्ने द्वारा इसे अनुमोदित किया गया।
यह नया कानून 1986 के राष्ट्रपति अधिकार अधिनियम को निरस्त करता है, जिसके तहत पूर्व राष्ट्रपतियों की विधवाओं के लिए सरकारी आवास, मासिक भत्ते, सचिवालय स्टाफ, परिवहन सुविधाओं और पेंशन के प्रावधान दिए गए थे। सर्वोच्च न्यायालय ने पहले फैसला दिया था कि यह विधेयक संविधान के अनुरूप है और इसे साधारण बहुमत से पारित किया जा सकता है।
इस कदम का पूर्व नेताओं पर तत्काल प्रभाव पड़ेगा। श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को कोलंबो स्थित अपना सरकारी आवास खाली करना पड़ सकता है, जिसका किराया 46 लाख रुपये प्रति माह से अधिक है।
वहीं, पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना और चंद्रिका भंडारनायके कुमारतुंगा को भी सरकारी आवास से हाथ धोना पड़ेगा, जबकि रानिल विक्रमसिंघे और गोटाबाया राजपक्षे पहले ही निजी आवासों में लौट चुके हैं।
सरकार का कहना है कि इस कानून को निरस्त करने से लागत में कमी आएगी और संसाधनों का पुनर्वितरण होगा, जबकि आलोचकों का तर्क है कि इसके राजनीतिक निहितार्थ हैं।