देश आज ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के 52 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहा है। यह एक अग्रणी पहल है जिसने वन्यजीव संरक्षण के परिदृश्य को बदल दिया है। 1973 में आज ही के दिन भारत सरकार ने देश की घटती बाघ आबादी की रक्षा के लिए ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ की शुरुआत की थी। इस परियोजना ने बाघों की आबादी बढ़ाने और उनके प्राकृतिक आवासों को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
पाँच दशकों में यह पहल दुनिया के सबसे सफल वन्यजीव संरक्षण कार्यक्रमों में से एक बन गई है।
वर्ष 2006 में भारत में जंगली बाघ आबादी केवल 1,411 थी, जो वर्ष 2022 में बढ़कर 3,682 हो गई। दुनिया के लगभग 75 प्रतिशत जंगली बाघ भारत में हैं। देश में अब 57 बाघ अभ्यारण्य हैं, जो लगभग 83 हजार वर्ग किलोमीटर वन भूमि में फैले हैं।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का एक वैधानिक निकाय है, जो ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।