प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि दुनिया की हर रसोई में भारतीय किसान द्वारा उत्पादित कम से कम एक व्यंजन अवश्य शामिल करने की उनकी परिकल्पना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार कृषि उत्पादों के निर्यात, प्रसंस्करण और विपणन को बढ़ावा देने की दिशा में लगातार काम कर रही है।
श्री मोदी नौ करोड़ 80 लाख किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि योजना की 19वीं किस्त जारी करने के बाद भागलपुर में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने वित्तीय सहायता के रूप में 22 हजार 700 करोड़ रुपये की राशि जारी की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मखाना को बढ़ावा देना भी इसी दिशा में एक पहल है। उन्होंने कहा कि मखाना बोर्ड के गठन के बाद वैश्विक बाजार में मखाने का निर्यात बढ़ेगा और उत्पादकों को उत्पादन, मूल्य संवर्धन और विपणन में सहायता मिलेगी।
उन्होंने कहा कि देश के पूर्वी हिस्से में खाद्य प्रसंस्करण की अपार संभावनाएं हैं, इसलिए बिहार में राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान- एन.आई.एफ.टी.ई.एम. की स्थापना की जा रही है।
प्रधानमंत्री ने आम, टमाटर, प्याज और आलू को बढ़ावा देने के लिए बिहार के भागलपुर, मुंगेर और बक्सर में तीन नए उत्कृष्टता केंद्रों की भी घोषणा की। श्री मोदी ने दस हजारवें किसान उत्पादक संगठन-एफपीओ के गठन की भी घोषणा की।
उन्होंने कहा कि इससे किसानों की आय में आश्चर्यजनक वृद्धि हो सकती है और अब तक देशभर में 30 लाख किसान एफपीओ से जुड़ चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने एफपीओ में 40 प्रतिशत महिला सदस्य होने पर प्रसन्नता व्यक्त की।
श्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार महाकुंभ जैसी विरासत के संरक्षण के लिए काम कर रही है लेकिन विपक्ष इसे बदनाम करने की कोशिश कर रहा है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल महाकुंभ के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन लोग उन्हें माफ नहीं करेंगे। श्री मोदी ने कहा कि नालंदा के बाद भागलपुर के विक्रमशिला में एक और केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी।
इससे पहले प्रधानमंत्री ने कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों की 700 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं, रेलवे और सम्पर्क परियोजनाओं का लोकार्पण किया।