राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज संविधान दिवस के उपलक्ष्य में नई दिल्ली स्थित संविधान सदन के केंद्रीय कक्ष में संविधान की प्रस्तावना पढ़ी। इस अवसर पर राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि संविधान राष्ट्रीय पहचान की आधारशिला है और यह राष्ट्र को आगे बढ़ाने, औपनिवेशिक मानसिकता के स्थान पर राष्ट्रवादी दृष्टिकोण स्थापित करने का मार्गदर्शक ढाँचा है। उन्होंने कहा कि संविधान लोगों की आकांक्षाओं को अभिव्यक्त करने के लिए एक अत्यंत प्रभावी ढाँचा प्रदान करता है।
Site Admin | नवम्बर 26, 2025 3:18 अपराह्न
संविधान दिवस के मौके पर संविधान सदन के केंद्रीय कक्ष में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने पढ़ी संविधान की प्रस्तावना
उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने कहा कि संविधान, स्वतंत्रता संग्राम में शामिल लाखों देशवासियों के सामूहिक ज्ञान, बलिदान और सपनों का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि महान विद्वानों, प्रारूप समिति और संविधान सभा के सदस्यों ने करोड़ों भारतीयों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए गहन विचार प्रस्तुत किए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि संविधान का जन्म बुद्धिमता, अनुभव, त्याग, आशाओं और आकांक्षाओं से हुआ है। उन्होंने कहा कि संविधान की आत्मा ने सिद्ध कर दिया है कि भारत एक है और सदैव एक रहेगा। श्री राधाकृष्णन ने डॉ. बी. आर. आम्बेडकर, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, एन. गोपालस्वामी अय्यंगर, अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर आदि को श्रद्धांजलि अर्पित की।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि संविधान के मार्गदर्शन में देश सुशासन और सामाजिक-आर्थिक विकास की परिवर्तनकारी यात्रा पर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि पिछले सात दशकों में संविधान ने सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए देश में नीतियों और कानूनों के निर्माण का नेतृत्व किया है।
लोकसभा अध्यक्ष ने संविधान सभा के सभी सदस्यों के साथ, भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद और डॉ. भीमराव अंबेडकर को भी श्रद्धांजलि अर्पित की और उन्हें संविधान निर्माता बताया। उन्होंने कहा कि उनकी अद्भुत बुद्धिमत्ता, दूरदर्शिता और अथक परिश्रम के परिणामस्वरूप एक ऐसा शानदार संविधान तैयार हुआ है जो न्याय, समानता, बंधुत्व और प्रत्येक नागरिक के लिए सम्मान और गरिमा की गारंटी देता है। श्री बिरला ने कहा कि यदि संविधान का अक्षरशः पालन किया जाए तो भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बन सकेगा।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने मलयालम, मराठी, नेपाली, पंजाबी, बोडो, कश्मीरी, तेलुगु, उड़िया और असमिया सहित नौ भाषाओं में संविधान का अनुवादित संस्करण जारी किया।