राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने प्राकृतिक आपदाओं के कारण मृतकों की संख्या कम करने के लिए देश की पूर्वानुमान प्रणाली को सरल और अधिक सटीक बनाने की आवश्यकता पर बल दिया है। राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रीय भू-विज्ञान पुरस्कार प्रदान करने के बाद राष्ट्रपति ने देश के विभिन्न हिस्सों में भूस्खलन और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुए जानमाल के नुकसान का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सभी भूस्खलन संभावित राज्यों में पूर्व चेतावनी देने वाले बुलेटिन जारी करने के लिए राष्ट्रीय भूस्खलन पूर्वानुमान केंद्र कोलकाता में स्थापित किया जा रहा है।
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए खनिज उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनना होगा। राष्ट्रपति ने बताया कि खनिज क्षेत्र के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि देश में किए गए सुधार और नवाचार न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रहे हैं बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी कारगर साबित हो रहे हैं।
राष्ट्रपति ने 12 श्रेणियों में 21 भू-वैज्ञानिकों को राष्ट्रीय भू-विज्ञान पुरस्कार प्रदान किए। 1966 में खनन मंत्रालय द्वारा संस्थापित भू-विज्ञान के क्षेत्र में दिया जाने वाला राष्ट्रीय भू-विज्ञान पुरस्कार प्राचीन और अत्यधिक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कारों में से एक है। इन पुरस्कारों का उद्देश्य भू-विज्ञान-खनिज अनुसंधान तथा अन्वेषण, खनन प्रौद्योगिकी तथा खनिज के लाभ और मौलिक भू-विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धियों तथा महत्वपूर्ण योगदान के लिए वैज्ञानिकों को सम्मानित करना है।