संसद ने आव्रजन और विदेशी नागरिक विधेयक-2025 पारित कर दिया है। राज्यसभा ने आज इसे स्वीकृति दी। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है।
इस विधेयक का उद्देश्य भारत में विदेशी लोगों के आव्रजन, प्रवेश और ठहरने को विनियमित करना और आव्रजन कानूनों का आधुनिकीकरण करना है। विधेयक में केंद्र सरकार को पासपोर्ट, यात्रा दस्तावेज, वीजा और पंजीकरण के संबंध में कुछ शक्तियां प्रदान करने का प्रावधान है।
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने सदन में विधेयक पर चर्चा का उत्तर देते हुए कहा कि यह विधेयक भारत आने वाले विदेशी नागरिकों के सभी नये रिकॉर्ड को बनाए रखने और प्रबंधन में सहायता करेगा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य कानूनों के बीच होने वाले दोहराव को कम करना, संबंधित एजेंसियों के बीच समन्वय बढ़ाना और डेटा प्रबंधन तथा सत्यापन में होने वाली कठिनाई को दूर करना है। उन्होंने कहा कि विधेयक को तीन वर्ष के गहन विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है।
श्री राय ने कहा कि आव्रजन ब्यूरो पहले से ही अस्तित्व में है और ब्यूरो इससे जुड़े मुद्दों से निपटने वाली एकमात्र एजेंसी होगी तथा इस प्रणाली का दुनिया भर में पालन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश में उन सभी लोगों का स्वागत है जो शिक्षा, शोध और विकास कार्यों के लिए यहां आते हैं। श्री राय ने कहा कि पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाड़ लगाने के लिए केंद्र को जमीन नहीं दी है।
उन्होंने कहा कि घुसपैठ केवल उन सीमावर्ती राज्यों में हो रही है जहां भाजपा सत्ता में नहीं है। श्री राय के उत्तर देने के दौरान कांग्रेस और टीएमसी सहित विपक्षी सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया।
इससे पहले, कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी ने आव्रजन और विदेशी नागरिक विधेयक, 2025 का विरोध करते हुए इसमें कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन की मांग की। उन्होंने कहा कि यह विधेयक विदेशियों के मूल और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
भारतीय जनता पार्टी की रेखा शर्मा ने कांग्रेस शासन में अवैध आव्रजन की अनदेखी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भारत सदैव करुणा की भूमि रहा है और यहां पाकिस्तान, अफगानिस्तान और पड़ोसी देशों के हिंदुओं को शरण दी गई है।
श्रीमती शर्मा ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने विशेष रूप से बांग्लादेश से बड़े पैमाने पर अवैध आव्रजन की अनदेखी की और सीमा पर कमजोर सुरक्षा और कडे वीजा नियम न होने के कारण दस लाख लोग अवैध रूप से भारत में प्रवेश कर गए। विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्यों ने भी चर्चा में भाग लिया।
द्रविड मुनेत्र कझगम के एन आर एलंगो ने सरकार से यह विधेयक प्रवर समिति को भेजने की मांग की। उन्होंने श्रीलंकाई तमिल शरणार्थियों को विदेशियों की परिभाषा से बाहर रखने का भी अनुरोध किया। बीजू जनता दल की सुलता देव ने भी विधेयक को प्रवर समिति को भेजने का अनुरोध किया। अखिल भारतीय अन्ना द्रविड मुनेत्र कझगम के एम थम्बीदुरई ने सरकार से श्रीलंकाई तमिलों की सुरक्षा करने और उन्हें नागरिकता देने का अनुरोध किया।
कार्यवाही पूरी होने के बाद राज्यसभा की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी गई।