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अगस्त 1, 2024 9:04 अपराह्न | लोकसभा शिक्षा

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गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करके ही, भारत 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल कर सकता है- शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान

 

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज कहा कि पिछले कुछ वर्षों में शिक्षा के लिए बजटीय आवंटन में वृद्धि हुई है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करके ही, भारत 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल कर सकता है। श्री प्रधान लोकसभा में शिक्षा मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा का जवाब दे रहे थे। उन्होंने बताया कि 2013-14 में शिक्षा पर चार लाख 30 हजार करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे थे, जो आज बढ़कर नौ लाख 19 हजार करोड़ रुपये हो गया है। श्री प्रधान ने यह भी बताया कि 2013-14 के बाद से उच्च शिक्षा के लिए बजटीय आवंटन में 78 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

 

शिक्षा मंत्री ने कहा कि मंत्रालय ने जवाबदेही के साथ-साथ सुलभ, न्यायसंगत, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्‍ध कराने पर काफी काम किया है । उन्होंने कहा कि आईआईएम और आईआईटी सहित उच्च शिक्षा संस्थानों की संख्या में वृद्धि हुई है। श्री प्रधान ने कहा कि 2014-15 में जहां देश में 760 विश्वविद्यालय थे, वहीं अब इनकी संख्‍या बढ़कर एक हजार एक सौ अड़सठ हो गई है। उन्‍होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने जनजातीय लोगों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए पीएम जनमन योजना शुरू की है।  जनजातीय लोगों के लिए शिक्षा सुलभ हो, इसके लिए पीएम जन मन योजना के अन्‍तर्गत पांच सौ छात्रावास बनाये जायेंगे। इनमें से एक सौ 19 छात्रावासों का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार भारतीय सांकेतिक भाषा के विकास और प्रचार-प्रसार पर जोर दे रही है। शिक्षा मंत्री ने बताया कि पहली बार, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में एक महिला कुलपति हैं। उन्होंने कहा कि स्कूलों में महिला शिक्षकों की संख्या भी बढ़ी है।

 

इससे पहले चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा के तेजस्वी सूर्या ने कहा कि पिछले दस वर्षों में देश में शिक्षा के बुनियादी ढांचे और गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के बजट में युवाओं के क्षमता निर्माण और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए अनेक प्रावधान किये गये हैं। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग का बजट 2013-14 में  केवल 26 हजार 750 करोड़ रुपये था, जो अब 71 प्रतिशत बढ़कर 47 हजार करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।