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साक्ष्य श्वास विश्लेषकों के लिए नए मसौदा नियमों का शुभारंभ

भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग के विधिक मापविज्ञान प्रभाग ने विधिक मापविज्ञान (सामान्य) नियम, 2011 के अंतर्गत साक्ष्य श्वास विश्लेषकों के लिए नए मसौदा नियमों का शुभारंभ किया है। इस पहल का उद्देश्य कानून प्रवर्तन और कार्यस्थलों द्वारा उपयोग किए जाने वाले श्वास विश्लेषक परीक्षणों की सटीकता और विश्वसनीयता को सुनिश्चित करना है, जिससे सार्वजनिक सुरक्षा और विश्वास को बढ़ाया जा सके। इससे सड़क पर शराब से संबंधित घटनाओं को रोकने में सहायता मिलने के साथ-साथ सभी के लिए सुरक्षित यात्रा में योगदान मिलता है। नए नियमों के अनुसार, साक्ष्य श्वास विश्लेषकों को मानकीकृत परीक्षण प्रक्रियाओं का पालन करना होगा, जिससे विभिन्न उपकरणों पर सुसंगत और विश्वसनीय परिणाम सुनिश्चित होंगे। यह मानकीकरण प्रवर्तन कार्रवाइयों की निष्पक्षता और सटीकता में जनता का विश्वास बढ़ाता है।

साक्ष्य श्वास विश्लेषकों को उनकी सटीकता सुनिश्चित करने के लिए कानूनी माप विज्ञान अधिनियम, 2009 के अनुसार सत्यापित और मुहरबंद किया जाना चाहिए। यह सत्यापन व्यक्तियों को न सिर्फ दोषपूर्ण उपकरणों के कारण गलत दंड से बचाता है बल्कि कानूनी और कार्यस्थल नीतियों की अखंडता को बनाए रखने में मदद करता है।साक्ष्य श्वास विश्लेषकों की सहायता से रक्त में अल्कोहल की मात्रा को बिना किसी आक्रामक तरीके को अपनाए मापा जा सकता है, साथ ही यह शीघ्र और दर्द रहित सैम्पल संग्रह प्रदान करते हैं। शीघ्रता से की गई विश्लेषण क्षमताएँ कानून प्रवर्तन अधिकारियों को त्वरित, सूचित निर्णय लेने में सहायता प्रदान करती हैं, जिससे सड़क के किनारे जाँच की प्रभावशीलता बढती है। वार्षिक सत्यापन उपयोग के दौरान इस उपकरण की सटीकता को सुनिश्चित किया जा सकेगा।

मसौदा नियमों को 26.07.2024 तक सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए वेबसाइट पर इस लिंक पर पेश किया गया हैं 

https://consumeraffairs.nic.in/sites/default/files/file-uploads/latestnews/Draft_Rule_Breath_Analyser.pdf