असम के मोइदम्स को सांस्कृतिक श्रेणी में प्रतिष्ठित 43वां यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त हुआ है। लगभग सात सौ साल पुराने मोइदाम ईंट, पत्थर के खोखले तहखाना हैं और इनमें राजाओं और राजघरानों के अवशेष हैं। नई दिल्ली में आयोजित विश्व धरोहर समिति की बैठक में मोइदाम को शामिल करने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया। मोइदम्स विश्व धरोहर सूची में शामिल होने वाला पहला सांस्कृतिक स्थल और पूर्वोत्तर का तीसरा स्थल है। दो अन्य काजीरंगा और मानस हैं जिन्हें प्राकृतिक विरासत श्रेणी के अंतर्गत अंकित किया गया था। विश्व धरोहर संपत्तियों की सबसे अधिक संख्या के मामले में भारत अब विश्व स्तर पर छठे स्थान पर है।
संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इसके शामिल होने की घोषणा करते हुए कहा कि यह पूर्वोत्तर और असम के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि यह विश्व मंच पर भारत की विरासत को उजागर करने के नए भारत के निरंतर प्रयास का प्रमाण है। मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह एक सम्मानित दर्जा इस स्थल के आसपास संरक्षण और पर्यटन के लिए काफी मददगार साबित होगा। श्री शेखावत ने यह भी कहा कि विश्व धरोहर समिति की बैठक में भारत के छह और प्रस्ताव लंबित हैं और यूनेस्को के पास कुल मिलाकर 57 प्रस्ताव लंबित हैं। उन्होंने कहा कि इन स्थलों पर जाकर लोग उनके संरक्षण और देश के समृद्ध इतिहास में योगदान दे सकते हैं।