लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राष्ट्रमंडल देशों के सांसदों से आग्रह किया है कि वे प्रौद्योगिकी के उपयोग से डिजिटल विभाजन को ध्यान में रखते हुए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के ज़िम्मेदार और नैतिक उपयोग को बढ़ावा दें। उन्होंने बारबाडोस में 68वें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ सम्मेलन में एक कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए यह बात कही।
श्री बिरला ने कहा कि सहयोग और ज्ञान-साझाकरण के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि प्रौद्योगिकी एक सेतु बने, न कि एक बाधा। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि तकनीकी प्रगति और ई-संसद के अनुप्रयोग ने भारत के संसदीय लोकतंत्र के कार्यों में बड़े परिवर्तनकारी बदलाव लाए हैं।
आगामी डिजिटल पहलों के बारे में बोलते हुए, श्री बिरला ने कहा कि संसद भाषानी जैसी रीयल-टाइम एआई अनुवाद प्रणालियाँ प्रत्येक संसद सदस्य को अपनी भाषा में संवाद करने में सक्षम बनाएँगी। उन्होंने कहा कि डिजिटल संसद पहल के तहत, संसद ने एक एकीकृत डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया है जो संसद सदस्यों, मंत्रालयों और नागरिकों को एक ही डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से जोड़ता है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा 5जी बाजार बन गया है और 6जी पर भी सक्रिय प्रयास चल रहे हैं।
लोकसभा अध्यक्ष ने आगे कहा कि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) ने डिजिटल भुगतान को एक जन आंदोलन बना दिया है। उन्होंने कहा कि एआई जागरूकता और नवाचार को बढ़ावा देने, डिजिटल कनेक्टिविटी को किफायती, समावेशी और जन-केंद्रित बनाने के लिए दस लाख से ज़्यादा नागरिकों को निःशुल्क एआई प्रशिक्षण दिया जा रहा है।