कर्नाटक का मैसूर आकाशवाणी रेडियो स्टेशन आज अपनी 90वीं वर्षगांठ मना रहा है। 10 सितंबर 1935 को भारत के पहले निजी रेडियो प्रसारक के रूप में रेडियो मैसूर शुरू हुआ था। महाराजा कॉलेज में मनोविज्ञान के प्रोफेसर डॉ. एम वी गोपालस्वामी ने अपने आवास पर 30 वॉट का ट्रांसमीटर स्थापित करके इसकी शुरूआत की। रेडियो स्टेशन का शुभारंभ कर्नाटक के प्रसिद्ध संगीतकार मैसूर वासुदेवाचार्य की प्रस्तुति के साथ किया गया, उनके साथ वायलिन पर एचवी रामाराव और मृदंगम पर वेंकटेश देवार थे। इसके बाद वर्ष 1942 में मैसूर के महाराजा ने रेडियो ट्रांसमीटर पर कब्ज़ा कर लिया। डॉ. गोपालस्वामी के बाद एक प्रखर लेखक और पत्रकार नारायण कस्तूरी ने रेडियो स्टेशन का कामकाज संभाला। रेडियो स्टेशन का नाम आकाशवाणी रखने का श्रेय श्री कस्तूरी को ही जाता है। मैसूरु राज्य द्वारा संचालित रेडियो स्टेशन वर्ष 1944 में अपने वर्तमान स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया। 1 अप्रैल 1950 को राज्य सरकार के स्वामित्व वाले रेडियो स्टेशन को ऑल इंडिया रेडियो नेटवर्क में स्थानांतरित कर दिया गया। सुबह 5 बजकर 55 मिनट से रात 11 बजकर 5 मिनट तक कार्यक्रम प्रसारित करने के निर्णय का श्रेय मैसूर आकाशवाणी रेडियो स्टेशन को जाता है। यह विशेष रूप से हाई स्कूल के छात्रों के लिए शैक्षिक कार्यक्रम प्रसारित करने वाला पहला और दक्षिण भारत में हिंदी पाठ्य सामग्री प्रसारित करने वाला पहला कार्यक्रम था। 90वीं वर्षगांठ के अवसर पर मैसूर रेडियो स्टेशन अपने इतिहास के अंश प्रसारित कर रहा है। ताकि श्रोताओं को रेडियो स्टेशन द्वारा अपनी लंबी यात्रा में हासिल किए गए कीर्तिमानों का आनंद लेने का अवसर मिले।