भारत ने आईयूसीएन विश्व संरक्षण कांग्रेस 2025 में अपनी राष्ट्रीय रेड लिस्ट रोडमैप और विज़न 2025-2030 का अनावरण किया। यह प्रजातियों के आकलन और संरक्षण के लिए एक व्यापक ढाँचे की स्थापना में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह द्वारा एशिया पैवेलियन में शुरू की गई यह पहल जैव विविधता दस्तावेज़ीकरण, ख़तरे के आकलन और साक्ष्य-आधारित संरक्षण योजना के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को पुष्ट करती है।
इस अवसर पर बोलते हुए, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि यह रोडमैप 2030 तक भारत की संरक्षण रणनीति का मार्गदर्शन करेगा। उन्होंने कहा कि सरकार आईयूसीएन के साथ मिलकर काम कर रही है और विभिन्न विभाग इस रेड लिस्ट को तैयार करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य की संरक्षण नीतियाँ इस प्रक्रिया से प्राप्त अंतर्दृष्टि और आँकड़ों पर आधारित होंगी, जिससे हमें लुप्तप्राय प्रजातियों की पहचान करने और केंद्रित संरक्षण प्रयासों को निर्देशित करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, “यह पहल हमारे देश को अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाने और वनस्पतियों और जीवों दोनों के लिए अधिक प्रभावी संरक्षण नीतियों को आकार देने में मदद करेगी।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत की जैव विविधता स्थलीय प्रजातियों से आगे बढ़कर 20 हजार से अधिक समुद्री प्रजातियों तक फैली हुई है।
भारत का लक्ष्य 2030 तक वनस्पतियों और जीवों दोनों के लिए राष्ट्रीय रेड डेटा बुक्स प्रकाशित करना है। अब तक मूल्यांकन की गई 1 लाख 63 हजार प्रजातियों में से लगभग 28 प्रतिशत विलुप्त होने के कगार पर हैं, जो कड़े संरक्षण उपायों की तत्काल आवश्यकता की याद दिलाता है। इस पहल के माध्यम से, भारत जैव विविधता संरक्षण और वैश्विक स्थिरता एजेंडे के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।