रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में आज रूस में भारतीय नौसेना में नवीनतम मल्टी रोल स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस तुशील को शामिल किया गया। आईएनएस तुशील को नौसेना युद्ध के सभी चार आयामों – हवा, सतह, पानी के नीचे और विद्युत चुम्बकीय में संचालन के लिए तैयार किया गया है। यह विभिन्न उन्नत हथियारों से लैस है जिसमें संयुक्त रूप से विकसित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल और उन्नत रेंज वाली सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें शामिल हैं।
श्री सिंह ने जहाज के शामिल होने को देश की बढ़ती समुद्री ताकत का गौरवपूर्ण प्रमाण और भारत तथा रूस के बीच लंबे समय से चली आ रही मैत्री में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया।
रक्षा मंत्री ने देश के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को रूस के समर्थन को दोनों देशों के बीच गहरी मित्रता का एक और महत्वपूर्ण उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि आईएनएस तुशील सहित कई जहाजों में मेड इन इंडिया सामग्री की मात्रा लगातार बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि यह जहाज रूसी और भारतीय उद्योगों की सहयोगी क्षमता का एक बड़ा प्रमाण है।
भारत और रूस की नौसेनाओं के बीच गहरे संबंधों पर प्रकाश डालते हुए, श्री सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों के बीच समग्र रूप से बढ़ते संबंधों के तहत तकनीकी और परिचालन सहयोग लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है। उन्होंने कहा कि भारत अपने मित्र देशों के साथ यह सुनिश्चित करने में विश्वास करता है कि क्षेत्र में समुद्री व्यापार सुरक्षित और संरक्षित रहे, जिससे निर्बाध व्यापार को बढ़ावा मिले।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सभी के लिए सुरक्षा और विकास-सागर के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, रक्षा मंत्री ने इस दृष्टिकोण को देश की समुद्री नीति की रीढ़ बताया। उन्होंने कहा कि सागर सामूहिक सुरक्षा, समुद्री सहयोग और सतत विकास के प्रति देश की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। उन्होंने आगे कहा कि इस प्रतिबद्धता में भारत को हमेशा रूस का समर्थन मिला है।
इस अवसर पर नौसेना स्टाफ प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने परियोजना में शामिल सभी लोगों को बधाई दी। उन्होंने विशेष रूप से शिपयार्ड श्रमिकों और सभी रूसी और भारतीय मूल उपकरण निर्माताओं को उनके असाधारण कार्य के लिए बधाई दी।
इस कार्यक्रम में रूस के उप रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर वासिलीविच फोमिन, कलिनिनग्राद के गवर्नर एलेक्सी सर्गेयेविच बेसप्रोज्वानिख और भारतीय तथा रूसी सरकारों, नौसेनाओं और उद्योगों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल रहे।