भारत मानव-वन्यजीव-पर्यावरण इंटरफेस पर जूनोटिक स्पिलओवर जोखिमों का समाधान करने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी वैज्ञानिक अध्ययन शुरू करेगा। यह अनूठा अध्ययन सिक्किम, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में चुनिंदा पक्षी अभयारण्यों और आर्द्रभूमि में किया जाएगा।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि व्यापक शोध परियोजना का उद्देश्य पक्षी अभयारण्य के श्रमिकों और आसपास के निवासियों में जूनोटिक रोगों का पता लगाने और उनका निदान करने के लिए एक वास्तविक समय निगरानी मॉडल विकसित करना है। मंत्रालय ने कहा कि आज नई दिल्ली में भारतीय आर्युविज्ञान अनुसंधान परिषद मुख्यालय में चुनिंदा पक्षी अभयारण्यों और आर्द्रभूमि पर एक अध्ययन शुरू किया गया।
इस अवसर पर परिषद के महानिदेशक डॉक्टर राजीव बहल ने कहा कि राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिमों का अनुमान लगाने और उन्हें कम करने के लिए अत्याधुनिक विज्ञान का लाभ उठाने की सरकार की प्रतिबद्धता का उदाहरण है।