अगस्त 14, 2024 7:58 अपराह्न | राष्‍ट्रपति संबोधन

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भारत अनेकता में एकता की अपनी भावना के साथ एकजुट होकर आगे बढ़ रहा है- राष्‍ट्रपति द्रोपदी मुर्मु

 

    राष्‍ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने आज कहा कि भारत अनेकता में एकता की अपनी भावना के साथ एकजुट होकर आगे बढ रहा है। सामाजिक असमानता को बढावा देने वाली पुरानी प्रथाओं को नकराने का समय आ गया है। 

     स्‍वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्‍या पर राष्‍ट्र के नाम अपने संबोधन में उन्‍होंने समस्‍त देशवासियों को   स्‍वतंत्रता दिवस की बधाई देते हुए कहा कि यह उत्‍सव 140 करोड से अधिक देशवासियों के साथ अपने इस महान देश का हिस्‍सा होने की हमारी खुशी को अभिव्‍यक्‍त करता है।

    राष्‍ट्रपति ने कहा कि सामाजिक न्‍याय सरकार की सर्वोच्‍च प्राथमिकता है। उन्‍होंने संविधान निर्माता डॉक्‍टर बी आर आम्‍बेडकर को उदृत करते हुए कहा कि हमें राजनीतिक लोकतंत्र को सामाजिक लोकतंत्र भी बनाना चाहिए। राजनीतिक लोकतंत्र तबतक नहीं टिक सकता जबतक उसका आधार सामाजिक लोकतंत्र न हो। राष्‍ट्रपति ने कहा कि इसे ध्‍यान में रखते हुए ही सरकार ने अनुसूचि जातियों और जनजातियों और समाज के निचले तबके के लोगों के कल्‍याण के लिए अनेक कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री सामाजिक उत्‍थान एवं रोजगार आधारित जनकल्‍याण -पीएम सुराज और प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्‍याय महाअभियान आदि कुछ ऐसी ही योजनाएं हैं।

    आर्थिक प्रगति का उल्‍लेख करते हुए राष्‍ट्रपति ने कहा कि आठ प्रतिशत की औसत वार्षिक आर्थिक वृद्धि के साथ भारत दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्‍यवस्‍था बन चुका है। इससे न केवल लोगों के हाथों में ज्‍यादा पैसे आए हैं बल्कि गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्‍या में भी काफी कमी आई है। उन्‍होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि भारत दुनिया की पांचवी बडी अर्थव्‍यवस्‍था बन चुका है और जल्‍द ही तीसरी बडी अर्थव्‍यवस्‍था बनने जा रहा है। उन्‍होंने कहा कि यह देश के किसानों, श्रमिकों और दूरदृष्टि के साथ योजना बनाने वालों के प्रयासों से ही संभव हुआ है।

    विश्‍व में भारत की मजबूत होती स्‍थ‍िति का उल्‍लेख करते हुए राष्‍ट्रपति ने कहा कि न्‍याय परख प्रगति के बल पर दुनिया में भारत का कद ऊंचा हुआ है। जी-20 समूह की सफल अध्‍यक्षता के बाद भारत ने ग्‍लोबल साउथ की आवाज को मुखर बनाने वाले देश के रूप में अपनी छवि मजबूत बनाई है। भारत अपनी इस प्रभाव‍शाली स्थिति का उपयोग विश्‍व शांति और समृद्धि के विस्‍तार के लिए करना चाहता है।     

    हाल ही में सम्‍पन्‍न हुए लोकसभा चुनाव का जिक्र करते हुए राष्‍ट्रपति ने कहा कि यह दुनिया में अब तक की सबसे बडी चुनावी प्रकिया रही। उन्‍होंने स्‍वतंत्र, निष्‍पक्ष और सफल चुनाव कराने के लिए निर्वाचन आयोग को बधाई दी।   

    राष्‍ट्रपति ने कहा कि आज विभाजन विभीषिका के अवसर पर देश विभाजन की त्रासदी को याद कर रहा है और उन परिवारों के साथ एकजुटता प्रदर्शित कर रहा है, जिन्‍होंने इस त्रासदी को झेला है। उन्‍होंने कहा कि आज देश 75वां संविधान दिवस मना रहा है। संविधान में वर्णित न्‍याय, समानता, स्‍वतंत्रता और भाई-चारे की भावना पर दृढता के साथ अमल करते हुए सरकार भारत को विश्‍व मंच पर मजबूत स्थिति में लाने का प्रयास कर रही है।

    राष्‍ट्रपति ने कहा कि स्‍वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा के जयंती को जन-जातीय गौरव दिवस के रूप में मनाए जाने का उल्‍लेख करते हुए कहा कि अगले साल बिरसा मुंडा की एक सौ 50वीं जयंती राष्‍ट्रीय चेतना की अलख जगाने में उनके योगदान को याद करने का अवसर होगा।

    लैंगिक समानता पर जोर देते हुए राष्‍ट्रपति ने कहा कि उन्‍हें इस बात की खुशी है कि सरकार ने महिला कल्‍याण और महिला सशक्तिकरण को समान महत्‍व दिया है। बजट में इसके लिए किया गया आवंटन तीन गुना ज्‍यादा है। महिलाओं को केन्‍द्र में रखते हुए सरकार द्वारा अनेक विशेष योजनाएं भी लागू की गई हैं। उन्‍होंने इस संदर्भ में नारी शक्ति वंदन अभियान का उल्‍लेख किया और कहा कि इससे महिलाओं का सशक्तिकरण सुनिश्चित होगा।

    जलवायु परिवर्तन पर राष्‍ट्रपति ने कहा कि अब यह एक यथार्थ बन चुका है। ग्‍लोबल वॉर्मिंग गंभीर कुप्रभावों से पृथ्‍वी को बचाने के लिए मानव जाति द्वारा किए जा रहे प्रयासों में भारत की अग्रणी भूमिका पर उन्‍हों गर्व है। उन्‍होंने सभी से अनुरोध किया कि वे अपनी जीवनशैली में बदलाव करके जलवायु परिवर्तन से निपटने में अपना योगदान दें।

    राष्‍ट्रपति ने कहा कि अमृतकाल का यह समय युवाओं का है। उनकी ऊर्जा और उत्‍साह के बल पर ही देश नई ऊंचाइयों तक पहुंचेगा। उन्‍होंने कहा कि इस संदर्भ में राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति के परिणाम सामने आ रहे हैं।

    राष्‍ट्रपति ने पेरिस ओलिम्पिक खेलों में उत्‍कृष्‍ट प्रयासों के लिए भारतीय खिलाडियों की निष्ठा और परिश्रम की सराहना की। उन्‍होंने कहा कि सरकार खेलों को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचों के विकास को प्राथमिकता दे रही है। भारत के युवा खिलाड़ी विश्‍व मंच पर सभी तरह के खेलों में अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं।

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