भारत ने विकासशील देशों की वित्तीय आवश्यकताओं के अनुकूलन से संबंधित वचनबद्धताओं को पूरा करने के लिए विकसित देशों का आह्वान किया है।
अजरबैजान के बाकू में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन के लिए कॉप-29 के दौरान उच्चस्तरीय मंत्रिस्तरीय संवाद जलवायु परिवर्तन अनुकूलन के एक वक्तव्य में भारत ने कहा कि विकसित देशों द्वारा उत्सर्जित कार्बन के कारण विकासशील देश जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। इससे विकासशील देशों के लोगों का जीवन और उनकी आजीविका खतरे में है।
वित्तीय संसाधनों के महत्वाकांक्षी प्रवाह की तत्काल आवश्यकता का उल्लेख करते हुए भारत ने कहा कि नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य-एनसीक्यूजी को धीमी अदायगी प्रक्रिया, बदलती आवश्यकताओं को अनुकूल बनाने के लचीलेपन की कमी और कड़े पात्रता मानदंड के साथ जटिल अनुमोदन प्रक्रियाओं को निपटाने की आवश्यकता है। इस तरह की प्रक्रियाएं जलवायु वित्त हासिल करने में बाधा बनती हैं।