स्वास्थ्य मंत्रालय ने असाध्य रोगों से ग्रस्त और मरणासन्न रोगियों से लाइफ सपोर्ट वापस लेने से संबंधित मसौदा दिशानिर्देश जारी किए हैं। लोगों के विचार जानने के लिए ये दिशानिर्देश जारी कर दिये गए हैं।
मस्तिष्क की गंभीर चोट जिसमें 72 घंटों के बाद भी कोई सुधार नहीं होता है, इस श्रेणी में शामिल की गयी है। डॉक्टरों को इसके बारे में कई आधार पर सोच-विचार के बाद निर्णय लेने की सलाह दी जाती है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बात पर बल दिया है कि गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में कई मरीज असाध्य रोगों से ग्रस्त हैं और उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम से कोई लाभ मिलने की संभावना नहीं है। ऐसी परिस्थिति में जीवन रक्षक प्रणाली से कोई लाभ नहीं होता और यह मरीजों की पीड़ा और बेवजह आर्थिक बोझ बढ़ाता है। दिशानिर्देश में कहा गया है कि इस दृष्टिकोण को दुनिया भर में मानक गहन चिकित्सा देखभाल माना जाता है और कई न्यायालयों ने भी इसे माना है। मंत्रालय ने कहा कि ऐसे निर्णयों में चिकित्सीय, नैतिक और कानूनी आधार महत्वपूर्ण है।