सरकार ने ‘आपराधिक न्यायिक प्रणाली प्रशासन में भारत का प्रगतिशील पथ’ शीर्षक से आज कोलकाता में सम्मेलन का आयोजन किया। केंद्रीय विधि और न्याय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने सम्मेलन का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि तीन नए आपराधिक कानून लोगों को त्वरित न्याय दिलाने के लिए बनाये गये हैं। उन्होंने कहा कि देश की स्थिति और समय के अनुसार कानूनों में बदलाव की आवश्यकता होती है।
श्री अर्जुन मेघवाल ने कहा कि देश के कई वर्गों की ओर से, ब्रिटिश काल के इन कानूनों में बदलाव की मांग की जा रही थी। इसी मांग को स्वीकार करते हुए इन कानूनों में बदलाव किया गया है। तीन नये कानून – भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023 अगले महीने की पहली तारीख से लागू हो जाएंगे। इससे लोगों को समय पर, जल्द और त्रुटि मुक्त न्याय मिलेगा।
श्री अर्जुन राम मेघवाल ने कुछ हलकों के इन आरोपों को खारिज किया कि केंद्र सरकार ने बिना किसी से परामर्श किए जल्दबाजी में ये तीन नए आपराधिक कानून बनाए हैं। उन्होंने कहा कि देश के सभी राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों, कानून लागू करने वाली एजेंसियों और इससे जुड़े सभी लोगों से सलाह ली गई थी। 18 राज्यों, छह केंद्र-शासित प्रदेशों, भारत के प्रधान न्यायाधीश, देश के 16 उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश, 5 लॉ कॉलेजों, 22 विश्वविद्यालयों, 142 सांसदों, विधानसभाओं के 270 सदस्यों के अलावा आम लोगों ने चार वर्ष तक इन नए कानूनों पर विचार विमर्श किया।
विधि और न्याय मंत्रालय द्वारा आयोजित इस सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस. शिवगणनम ने कहा कि 150 वर्षों के शासन के दौरान, औपनिवेशिक शासकों ने अपने लाभ के लिए पारंपरिक कानूनों, स्थानीय लोगों के अधिकारों और मांगें की अवहेलना करके आपराधिक कानून बनाए थे। स्वतंत्रता के करीब आठ दशक बाद जब देश औद्योगिक शिक्षा और तमाम क्षेत्रों में तकनीक सहित काफी आगे बढ़ चुका है, ऐसे में कानून और न्यायपालिका कछुए की चाल से चलते हुए पीछे नहीं रह सकते।
केंद्रीय विधि और न्याय सचिव राजीव मणि, केंद्रीय विधि आयोग की सदस्य सचिव रीता वशिष्ठ ने नए कानूनों के विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की। पिछले वर्ष दिसंबर में राष्ट्रपति ने इन कानूनों को मंजूरी दे दी थी। विधि और न्याय मंत्रालय ने कहा है कि पिछले दो महीनों में, कानूनी मामलों के विभाग ने इन नए कानूनों के बारे में विशेष रूप से हितधारकों, कानूनी बिरादरी, कानून प्रवर्तन एजेंसियों, शिक्षाविदों, नागरिकों और विद्यार्थियों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए नई दिल्ली और गुवाहाटी में दो बड़े सम्मेलन आयोजित किए हैं।