उद्योग जगत और परामर्श संस्थाओं ने देश में चार श्रम संहिताओं के लागू होने का स्वागत किया है। उन्होंने इसे एतिहासिक कदम बताते हुए कहा है कि इन सुधारों से औपचारिक रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा, सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ेगा और नियमों का पालन आसान होगा।
वेतन संहिता, 2019, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यशर्त संहिता, 2020 कल से लागू हो गईं। इनका उद्देश्य देश में मौजूदा श्रम कानूनों को सरल और सुव्यवस्थित बनाना है। ये चार श्रम संहिताएँ श्रम कानूनों का आधुनिकीकरण करके सभी क्षेत्रों के श्रमिकों के लिए बेहतर कार्य परिस्थितियाँ, उचित वेतन और दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित करेंगी।
प्रौद्योगिकी, स्टाफिंग, परामर्श और कानूनी क्षेत्रों के उद्योग जगत के नेताओं ने इस सुधार की सराहना की है तथा इसे श्रमिक-केंद्रित और आधुनिक अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक बताया है।
भारतीय मजदूर संघ-बीएमएस के राष्ट्रीय सचिव गिरीश आर्य ने कहा कि यह फैसला आज़ादी के बाद से मज़दूरों के हित में किया गया सबसे बड़ा सुधार है। उन्होंने कहा कि इससे मज़दूर सशक्त होंगे और नियमों का पालन आसान होगा।
नेशनल फ्रंट ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस-एनएफआईटीयू के अध्यक्ष डॉ. दीपक जायसवाल ने कहा कि असंगठित क्षेत्र में लगभग पचास करोड़ लोग कार्यरत हैं और नई श्रम संहिताओं के लागू होने से उनके लिए न्यूनतम वेतन सुनिश्चित हो सकेगा। उन्होंने कहा कि संहिता में महिलाओं के लिए समान कार्य के लिए समान वेतन का भी प्रावधान है।
नई श्रम संहिताओं का स्वागत करते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी उद्योग के व्यापार निकाय, नैसकॉम ने कहा कि यह भारत के श्रम कानूनों में सुधार की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। नैसकॉम ने कहा कि वह उद्योग को इस बदलाव को अपनाने में मदद करने के लिए सभी हितधारकों के साथ मिलकर काम करेगा।
इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन ने सुधारों को सकारात्मक बताया और इस बात पर ज़ोर दिया कि ये संहिताएँ गिग और प्लेटफ़ॉर्म श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करेंगी और न्यूनतम वेतन सुनिश्चित करेंगी।
अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संघ ने कहा कि भारत की श्रम संहिताएँ मजबूत और अधिक समावेशी सामाजिक सुरक्षा प्रणाली स्थापित करने के वैश्विक प्रयासों को गति प्रदान करती हैं।