सबरीमाला के पूर्व प्रशासनिक अधिकारी मुरारी बाबू को कई घंटों की पूछताछ के बाद सबरीमाला स्वर्ण हेराफेरी मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है। उसे कल रात विशेष जाँच दल (एसआईटी) ने कोट्टायम ज़िले में उसके आवास से हिरासत में लिया।
मुरारी बाबू 2019 में हुए कथित घोटाले के समय सबरीमाला मंदिर के अधिकारी थे। वह मंदिर से सोने की परत चढ़े पैनलों और फ़्रेमों की चोरी और अवैध परिवहन से संबंधित मामलों में आरोपी हैं। उन्हें त्रावणकोर देवासम बोर्ड ने निलंबित कर दिया था।
अपनी जाँच में एसआईटी ने पाया कि मुरारी बाबू 2019 से 2024 तक चली इस साजिश में एक महत्वपूर्ण कड़ी था। 2019 में प्रशासनिक अधिकारी के रूप में उसके कार्यकाल के दौरान ही द्वारपालक प्लेटों और लकड़ी के फ़्रेमों पर सोने की परत चढ़ाने की जगह तांबे की परत चढ़ाने की प्रथा कथित तौर पर शुरू हुई थी। उस पर जाली दस्तावेज़ बनाने का भी आरोप था। एसआईटी ने पहले दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज कीं और मुख्य आरोपी उन्नीकृष्णन पोट्टी समेत 10 लोगों को आरोपी बनाया, जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। बाबू भी दोनों एफआईआर में आरोपी हैं।
एसआईटी ने उन सुरक्षाकर्मियों और मंदिर कर्मचारियों से पूछताछ शुरू कर दी है जो सबरीमाला से सोने के पैनल हटाए जाने के समय ड्यूटी पर थे। स्थानीय अदालत ने पहले आरोपी पोट्टी की हिरासत इस महीने की 30 तारीख तक एसआईटी को सौंप दी है।