विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर आज से जर्मनी की दो दिन की यात्रा पर रहेंगे। बर्लिन में अपने प्रवास के दौरान डॉ. जयशंकर जर्मनी के विदेश मंत्री और अन्य प्रमुख नेताओं के साथ बैठक करेंगे। इन बैठकों का उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों के समूचे परिदृश्य की समीक्षा करना और सहयोग के नए अवसरों की तलाश करना है। विदेश मंत्री की बर्लिन यात्रा अगले महीने जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ की प्रस्तावित भारत यात्रा का आधार तैयार करेगी। जर्मनी भारत के महत्वपूर्ण व्यापार भागीदारों में से एक है और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रमुख स्रोत है।
इससे पहले डॉ. जयशंकर ने फलीस्तीन मुद्दे पर भारत के सैद्धांतिक और स्थिर दृष्टिकोण को दोहराया था और क्षेत्र में यथाशीघ्र युद्ध विराम की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि गज़ा की वर्तमान स्थिति भारत के लिए बड़ी चिंता का विषय है। डॉ. जयशंकर ने कहा कि हम आतंकवाद और लोगों को बंधक बनाए जाने जैसे कार्यों की निंदा करते हैं, वहीं दूसरी ओर निर्दोष नागरिकों की निरंतर मौतों पर हमें गहरा दुख है। विदेश मंत्री कल रियाद में रणनीतिक वार्ता के लिए भारत खाड़ी सहयोग परिषद की संयुक्त मंत्री स्तरीय बैठक के उद्घाटन सत्र की सह-अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत द्विराष्ट्र समाधान के जरिये फलीस्तीन मुद्दे के समाधान का निरंतर समर्थक रहा है। अपने उद्घाटन भाषण में डॉ. जयशंकर ने जनता, समृद्धि और प्रगति के फ्रेमवर्क को आपसी भागीदारी का मंत्र बताया है। उन्होंने कहा कि भारत विश्व के सबसे बड़े और सर्वाधिक तेजी से उभरते बाजारों में से एक है, जहां से भविष्य की अधिकतर मांग आने की संभावना है। विदेश मंत्री ने खाड़ी सहयोग परिषद के देशों का आह्वान किया कि वे एक-दूसरे के भविष्य और एक-दूसरे की निरंतर समृद्धि के लिए निवेश करें।
डॉ. जयशंकर ने कतर, सउदी अरब, बहरीन और कुवैत के विदेश मंत्रियों सहित खाड़ी सहयोग परिषद के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों के साथ कई द्विपक्षीय बैठकों में भी हिस्सा लिया।
तीन देशों की अपनी यात्रा के तीसरे और अंतिम चरण में ड़ा. जयशंकर 12 से 13 सितंबर तक जिनेवा जायेंगे। वे वहां अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों और प्रतिनिधियों के साथ बैठक करेंगे, जिनके साथ भारत सक्रिय रूप से जुड़ा रहा है। वे स्विटजरलैंड के विदेश मंत्री के साथ भी बैठक करेंगे जिसमें दोनों देशों के बीच घनिष्ट भागीदारी की समीक्षा की जाएगी।