वर्ष 2014 से 2024 के बीच रेल सुरक्षा-संबंधी कार्यों पर होने वाले खर्च में एक दशमलव 78 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है। इससे पहले, वर्ष 2004 से 2014 के बीच की अवधि में यह खर्च 70 हजार 273 करोड़ रुपये था। भारतीय रेलवे ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में रेल सुरक्षा से संबंधित कई नियम अपनाए गए हैं, जिनसे रेल परिचालन सुरक्षा में उल्लेखनीय सुधार हुए हैं। पिछले दस वर्षों में उससे पहले की इसी अवधि की तुलना में रेल दुर्घटनाओं की औसत संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है। वर्ष 2022-23 में 45 हजार करोड़ रुपये के बजट के साथ राष्ट्रीय रेल संरक्षण कोष को अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ा दिया है। मंत्रालय ने कहा कि कवच प्रणाली को लगभग एक हजार 465 किलोमीटर रेल मार्ग और एक सौ 21 इंजनों पर लागू किया गया है।
रेल चालकों की सतर्कता सुनिश्चित करने के लिए सभी रेल इंजनों में सतर्कता नियंत्रण उपकरण लगाए गए हैं, तथा कोहरा प्रभावित क्षेत्रों में रेल चालकों को जीपीएस-आधारित, कोहरा सुरक्षा उपकरण प्रदान किए गए हैं। रेल पुलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक वेब-आधारित आईटी एप्लिकेशन, ब्रिज मैनेजमेंट सिस्टम, विकसित किया गया है। मंत्रालय ने कहा कि रेल पुलों के निरीक्षण के लिए कई अन्य नई प्रौद्योगिकियां पेश की गई हैं जिनमें निरंतर जल स्तर की निगरानी, ड्रोन निरीक्षण और नदी तलों की थ्री-डी स्कैनिंग शामिल है।
रखरखाव के लिए रोलिंग स्टॉक सिस्टम और व्हील इम्पैक्ट लोड डिटेक्टर की ऑनलाइन निगरानी जैसी उन्नत तकनीकों को भी अपनाया गया है।