रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि वर्तमान में निर्माणाधीन नौसेना और तटरक्षक बल के जहाज भारतीय शिपयार्ड में बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण का प्रमाण है। आज नई दिल्ली में ‘समुद्र उत्कर्ष’ संगोष्ठी में श्री सिंह ने कहा कि भारत के लिए समुद्री व्यापार पर निर्भरता विशेष रूप से अधिक है।
रक्षामंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत का लगभग 95 प्रतिशत व्यापार मात्रा के हिसाब से और लगभग 70 प्रतिशत मूल्य के हिसाब से समुद्री मार्गों से होता है। श्री सिंह ने कहा कि परिवहन का यह साधन महाद्वीपों के बीच भारी माल की ढुलाई, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को सक्षम बनाने और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं को समर्थन देने का सबसे किफायती और कुशल साधन बना हुआ है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय शिपयार्ड वैश्विक वाणिज्यिक और दोहरे उपयोग वाले समुद्री उद्योग में भी प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत का जहाज निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र आज कई विश्व स्तरीय प्लेटफार्मों की ताकत पर टिका है जो देश की तकनीकी परिपक्वता और औद्योगिक गहराई को दर्शाते हैं। श्री सिंह ने कहा कि लार्सन एंड टुब्रो शिपबिल्डिंग ने तकनीकी रूप से परिष्कृत हाई-स्पीड इंटरसेप्टर क्राफ्ट और अपतटीय गश्ती जहाजों का निर्माण किया है, जिनका अब निर्यात किया जा रहा है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मित्र देशों के जहाज जटिल मरम्मत के लिए भारतीय शिपयार्डों में तेज़ी से आ रहे हैं। श्री सिंह ने कहा कि यह भारत की क्षमता, विश्वसनीयता और लागत प्रतिस्पर्धात्मकता की स्पष्ट पहचान है। उन्होंने कहा कि भारत पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए पसंदीदा रखरखाव और मरम्मत केंद्र बनना चाहता है।