विदेश मंत्री सुब्रहमण्यम जयशंकर ने कहा है कि भारत और भूमध्यसागरीय क्षेत्र के बीच ऊर्जा सहयोग एक महत्वपूर्ण आयाम है। नई दिल्ली में आज सीआईआई इंडिया-मेडिटेरेनियन बिजनेस कॉन्क्लेव में डॉ. जयशंकर ने कहा कि भूमध्यसागरीय क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में तेल और प्राकृतिक गैस भंडार ही नहीं बल्कि हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया की अपार संभावनाएं भी हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय व्यवसायी पहले से ही इसका पता लगाने के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं।
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे की घोषणा पिछले वर्ष नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन में की गई थी। डॉ. जयशंकर ने कहा कि गलियारे का लक्ष्य वैश्विक संपर्क की आधारशिला बनना है। यह महत्वपूर्ण क्षेत्रों में व्यापार को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत ढांचा प्रदान करेगा।
विदेश मंत्री ने कहा कि भूमध्य सागर और हिंद महासागर के बीच ऐतिहासिक संबंध सदियों पुराने हैं। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक रूप से भूमध्य सागर क्षेत्र में बंदरगाहों और समुद्री मार्गों ने पूर्व और पश्चिम के बीच व्यापार को काफी सुविधाजनक बनाया है।
डॉक्टर जयशंकर ने कहा कि भारत और भूमध्य सागर के बीच एकीकृत डिजिटल गलियारे की संभावना वास्तव में आकर्षक है। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत प्रमुख डिजिटल बुनियादी ढांचे के विकास में योगदान देने के लिए अच्छी स्थिति में है। उन्होंने कहा कि पश्चिम एशिया में जारी संघर्ष ने कुछ पहलों के बारे में चिंता पैदा की हैं।
इस अवसर पर साइप्रस के अनुसंधान, नवाचार और डिजिटल नीति उप मंत्री निकोडेमोस दामियानौ और सीरिया के उप विदेश व्यापार मंत्री रानिया अहमद ने भी डॉ. जयशंकर से बातचीत की।