निर्वाचन आयोग ने 20 वर्ष पुराने उस जटिल मुद्दे को सुलझा लिया है, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों में दर्ज वोटरों को गलती से एक जैसे मतदाता फोटो पहचान पत्र जारी कर दिए गए थे। विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के निर्वाचन अधिकारियों ने 2005 से ही अपने अपने क्षेत्रों में विधान सभा सीटों के अनुसार अलग-अलग अल्फान्यूमेरिक सीरीज में ये फोटो पहचान पत्र जारी कर रखे थे।
जांच में पाया गया कि समान नंबर के फोटो पहचान पत्र वाले ये सभी मतदाता अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों और मतदान केन्द्रों में वास्तविक मतदाता थे।
निर्वाचन आयोग ने 99 करोड़ से अधिक मतदाताओं के डेटा खंगाल कर निकाले और अब सभी प्रभावित मतदाताओं को नए कार्ड जारी कर दिए गए हैं। आयोग का कहना है कि यह प्रयास मतदाता सूची को दुरूस्त बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।