रक्षाबंधन पर्व को लेकर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों में बाजारों में रौनक दिखाई दे रही है। बड़ी संख्या में लोग राखियों और मिठाइयों की खरीददारी कर रहे हैं। वहीं, देहरादून में महिला स्वयं सहायता समूहों ने पर्यावरण के अनुकूल बीज से राखियां तैयार की हैं।
ये राखियां न केवल भाई-बहन के पवित्र बंधन का प्रतीक हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी एक रचनात्मक और सकारात्मक बदलाव लाने की एक पहल है। तुलसी, अपराजिता, बेल, अश्वगंधा, सूरजमुखी और कई अन्य सुगंधित हर्बल पौधों के बीजों को इन राखियों में पिरोया गया है। रक्षाबंधन के बाद इन राखियों को गमले में रोप देने से सुंदर हर्बल पौधा जन्म लेगा। महिला समूहों द्वारा बनाई गईं इको फ्रेंडली बीज राखियों की बाजार में धूम है।
पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए आयुष विभाग देहरादून ने विकास भवन सभागार में बीज राखी वितरण कार्यक्रम आयोजित किया। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह ने बीज राखियों का अनावरण करते हुए स्कूली बच्चों को राखियां वितरित की। उन्होंने कहा कि रक्षाबंधन पर बहनें अपने भाईयों की कलाई पर इन सुंदर ईको फ्रेंडली बीज से बनी राखियों को बांधे। कार्यक्रम के दौरान बीज से बनी राखी बांधकर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प भी लिया गया।
जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी ने कहा कि बीज से बनी राखी, ऐसी राखी है, जिसमें प्राकृतिक बीज संलग्न किए गए हैं। रक्षाबंधन के बाद इस राखी के कागज को मिट्टी में दबाया जा सकता है, जिससे कुछ ही समय में एक नया हर्बल पौधा अंकुरित होगा। इस पहल का उद्देश्य बच्चों, युवाओं और समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाना और वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करना है। देहरादून और ऋषिकेश में भारतीय ग्रामोत्थान संस्था के अंतर्गत मोहिनी स्वयं सहायता समूह और हरिओम स्वयं सहायता समूह सहित 9 महिला समूहों द्वारा ईको फ्रेंडली राखियां तैयार की जा रही हैं।