रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने उच्च दबाव के साथ समुद्री जल के खारे पानी से लवणों को अलग करने की प्रक्रिया के लिए नैनोपोरस यानी सूक्ष्म छिद्रों की कई परतों वाली पोलिमेरिक झिल्ली विकसित की है। स्वदेश निर्मित इस तकनीक का उपयोग भारतीय तटरक्षक जहाजों में हो सकेगा। डीआरडीओ की कानपुर स्थित प्रयोगशाल डी.एम.एस.आर.डी.ई द्वारा विकसित इस तकनीक का शुरूआती परीक्षण पूरा हो चुका है। अंतिम मंजूरी मिलने से पहले इस झिल्ली को पांच सौ घंटों के संचालन परीक्षण से गुजरना होगा। इस नई तकनीक का विकास केवल आठ महीनों में किया गया है। इसमें कुछ सुधार के साथ इसका इस्तेमाल तटीय क्षेत्रों में भी किया जा सकता है।
Site Admin | मई 15, 2025 1:24 अपराह्न
डीआरडीओ ने समुद्री जल विलवणीकरण के लिए उच्च दबाव वाली नैनोपोरस पॉलिमर झिल्ली विकसित की
