लोकसभा में आज केंद्रीय बजट 2025-26 पर फिर चर्चा शुरू हुई। डी एम के पार्टी के दयानिधि मारन ने आरोप लगाया कि एन डी ए सरकार ने इस बजट में कॉरपोरेट घरानों का पूरा पक्ष लिया गया है और बेरोजगारी तथा मुदास्फीति सहित आम लोगों की वास्तविक समस्याओं पर ध्यान नही दिया गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत धीमी हो गई है और पिछले वर्ष में जीडीपी की दर छह दशमलव चार प्रतिशत बढ़ी है।
श्री मारन ने कहा कि अमरीकी डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत बहुत गिर गई है। कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि नोटबंदी के दौरान सरकार ने जिस उद्देश्य को प्राप्त करने की बात कही थी उसमें वह विफल रही है। बजट में कर दाताओं को कर में छूट देने के लिए की गई घोषणा के बारे में उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों से करदाता इसकी मांग कर रहे थे। राजकोषीय घाटे के मामले में उन्होंने सरकार पर सवाल उठाएं। श्री तिवारी ने आरोप लगाया कि देश के कृषि क्षेत्र को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरद पवार गुट की सुप्रिया सुले ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि इस वित्त वर्ष में पूंजीगत व्यय और जीडीपी अनुपात में कमी आई है, जबकि घरेलू कर्ज बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि विदेशी निवेशक बिकवाली कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी के गुरमीत सिंह हायर ने कहा कि आर्थिक वृद्धि के बावजूद प्रति व्यक्ति आय स्थिर है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार के दौरान कॉरपोरेट की कमाई कई गुना बढ़ गई है।
तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा कि देश का विदेशी कर्ज 2025 में बढकर 60 करोड़ 82 लाख रुपये हो गया है, जबकि वर्ष 2019 में यह 39 करोड पचास लाख रुपये था। उन्होंने सरकार के इस विचार पर सवाल उठाते हुए कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के लिए बजटीय आवंटन घटाकर 86 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है।
समाजवादी पार्टी की इकरा चौधरी ने बेरोजगारी, महंगाई, किसानों के लिए बढ़ती लागत का मुद्दा उठाया। 12 लाख रुपये की आय तक कर छूट पर उन्होंने कहा कि देश में केवल 2 प्रतिशत लोग प्रत्यक्ष कर देते हैं, जबकि अप्रत्यक्ष करों से कोई राहत नहीं दी गई।
जम्मू-कश्मीर की नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के मियां अल्ताफ अहमद ने मनरेगा योजना के लिए कम बजटीय आवंटन का उल्लेख किया और कहा कि बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है और बारे में बजट में कुछ नहीं कहा गया। एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने बेरोजगारी, महंगाई और गरीबी का मुद्दा उठाया। आरएसपी के एन. के. प्रेमचंद्रन ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह बजट संघीय व्यवस्था विरोधी है। उन्होंने कहा कि कर राजस्व का हस्तांतरण काफी कम हो गया है।
दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी के सांसद अनुराग सिंह ठाकुर ने बजट 2025-26 की सराहना करते हुए कहा कि राष्ट्रीय कल्याण के लिए इस बजट में प्रत्येक क्षेत्र के लिए पर्याप्त राशि आवंटित की गई हैं। उन्होंने कहा कि एन डी ए सरकार के अंतर्गत भारतीय अर्थव्यवस्था ऊंचाइयां छू रही है और पांचवे स्थान पर पहुंच गई है।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अगले तीन वर्षों में भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी। उन्होंने कहा कि रक्षा बजट वर्ष 2013-14 में दो लाख करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर अब छह लाख इक्यासी हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि रेलवे बजट भी सत्ताईस हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर दो लाख 55 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है। पिछली यू पी ए सरकार की आलोचना करते हुए श्री ठाकुर ने कहा कि उस समय घोटाले ही घोटाले हुआ करते थे, जबकि अब सरकार विकसित भारत के सिद्धांत पर कार्य कर रही है।
पार्टी की एक अन्य सांसद अपराजिता सारंगी ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और देश पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि यह बजट शहरी और ग्रामीण विकास, निवेश, निर्यात, मध्यम वर्ग को राहत सहित छह प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है।
तेलगु देशम पार्टी के लावु श्री कृष्णदेवराय ने भी इसी प्रकार के विचार व्यक्त किए। लोक जन शक्ति पार्टी (रामविलास) की शांभवी ने बजट की सराहना करते हुए कहा कि पूंजीगत व्यय के लिए 11 लाख 21 हजार करोड़ रुपये का बजटीय आवंटन किया गया है, जो देश के विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा। इस पर चर्चा जारी है।
चर्चा में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के अमराराम, भाजपा के जुगल किशोर, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के जोबा माझी, कांग्रेस के सुधार आर. सहित अन्य ने भी भाग लिया। चर्चा अधूरी रही।