राज्यसभा में आज केंद्रीय बजट 2024-2025 और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के 2024-2025 के बजट पर चर्चा फिर से शुरू हुई। चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के रणदीप सिंह सुरजेवाला ने किसान, गरीब और बेरोजगारी का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि किसानों के कर्ज माफ करने के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार किसानों को खाद्यान्न पर उचित समर्थन मूल्य नहीं दे रही है।
आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा ने आरोप लगाया कि बजट के जरिए सरकार ने समाज के सभी वर्गों को नाराज किया है। उन्होंने दावा किया कि बजह के कारण आम आदमी पर कर का बोझ बढ़ गया है और ग्रामीण आय दशक के निचले स्तर पर है। उन्होंने महंगाई और बेरोजगारी का मुद्दा भी उठाया।
बीजू जनता दल के देबाशीष सामंत्रे ने आरोप लगाया कि बजट में देश की क्षेत्रीय आकांक्षाओं की अनदेखी की गई है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बजट में ओडिशा को कुछ नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि बजट में केवल दो राज्यों को खुश करने का काम किया गया है। ओडिशा, पश्चिम बंगाल और झारखंड जैसे राज्यों की अनदेखी की गई है।
राष्ट्रीय जनता दल के संजय यादव ने बजट को गरीब विरोधी बताया। उन्होंने कहा कि बजट में रोजगार और किसानों के बारे में कोई ठोस प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बावजूद प्रति व्यक्ति आय के मामले में भारत 197 देशों में 142वें स्थान पर है। तृणमूल के समीरुल इस्लाम ने आरोप लगाया कि बजट जनविरोधी है। उन्होंने कहा कि बजट में देश के वंचितों, विशेषकर असंगठित क्षेत्र की उपेक्षा की गई है।
भाजपा सांसद मेधा कुलकर्णी ने बजट की सराहना करते हुए कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने महाराष्ट्र के लिए पर्याप्त प्रावधान किये हैं। नागपुर में नाग नदी और पुणे में मुल्ता-मुथा नदी की सफाई के लिए किए गए बजटीय प्रावधानों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 2014 के बाद से प्रधानमंत्री ने न केवल गंगा नदी के लिए बल्कि अन्य नदियों की सफाई के लिए भी प्रभावी कदम उठाए हैं। द्रमुक के एन शनमुगम, अन्नाद्रमुक के सी वे शनमुगम, कांग्रेस की रजनी पाटिल और अन्य ने भी चर्चा में भाग लिया।