लोकसभा में आज 2024-25 के पहले बैच की पूरक अनुदान मांगों पर चर्चा शुरू हुयी। सरकार ने 87 हजार सात सौ 62 करोड़ रुपये से अधिक के सकल अतिरिक्त व्यय को अधिकृत करने के लिए संसद की मंजूरी मांगी है।
चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के के.सी. वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि पिछले कुछ वर्षों में आईटी, लॉजिस्टिक, खुदरा, एफएमसीजी और बैंकिंग जैसे प्रमुख क्षेत्रों में वेतन में उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि इस साल जुलाई से सितंबर के दौरान शहरी क्षेत्रों में रोजगार दर छह दशमलव चार प्रतिशत रही।
महंगाई और सब्जियों के दाम बढ़ रहे हैं। भाजपा के डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि सरकार पूरक अनुदान मांगों के तहत किसानों के लिए 25 हजार करोड़ रुपये की मांग कर रही है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2024-25 में देश के गरीबों और किसानों को करीब चार लाख 50 हजार करोड़ रुपये सब्सिडी के तौर पर दिये जा रहे हैं। श्री जायसवाल ने कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि के माध्यम से पात्र किसानों के खाते में अब तक तीन लाख 46 हजार करोड़ रुपये हस्तांतरित किये जा चुके हैं।
तृणमूल कांग्रेस के सौगत रे ने आरोप लगाया कि अर्थव्यवस्था संकट में है और पिछली तिमाही में आर्थिक वृद्धि कम होकर पांच दशमलव चार फीसदी पर आ गयी है। द्रमुक के डी0 एम0 कथिर ने कहा कि रोजगार की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। टीडीपी सांसद मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार गरीब लोगों के कल्याण के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। एनसीपी-शरद पवार की सुप्रिया सुले ने कहा कि विदेशी कर्ज काफी बढ़ गया है और निर्यात कम हुआ है तथा आयात बढ़ रहा है।
चर्चा में भाजपा के जगदंबिका पाल, कांग्रेस के डॉ0 अमर सिंह और सपा के धर्मेंद्र यादव समेत अन्य सदस्यों ने भी हिस्सा लिया। हालाँकि, चर्चा अधूरी रही। बाद में सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।