लोकसभा में चुनाव सुधारों पर आज आगे चर्चा होगी। कल विधि और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि पहले भी कांग्रेस के शासनकाल में कई बार मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण हो चुका है, लेकिन अब विपक्ष इसे लेकर सवाल उठा रहा है। उन्होंने देश के मतदान तंत्र की सराहना करते हुए कहा कि आजादी के बाद से हर एक को समान मताधिकार प्राप्त है।
न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित किया है। जिसके तहत महिलाओं के लिए लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में एक तिहाई सीट आरक्षण का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि भारत में चुनाव केवल एक राजनीतिक प्रक्रिया नहीं है बल्कि यह लोकतंत्र का उत्सव है जिसमें करोड़ों लोग भाग लेते हैं। उन्होंने कहा कि देश में चुनाव प्रक्रिया डॉ. बी.आर आम्बेडकर द्वारा निर्धारित सिद्धांतों के अनुरूप सम्पन्न होती है। सदन के कई अन्य सदस्यों ने भी चर्चा में भाग लिया।
राज्यसभा में आज राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150वें वर्ष पर आगे चर्चा होगी। कल चर्चा की शुरूआत करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि राष्ट्रगीत विकसित भारत की ओर देश की यात्रा में हमेशा प्रासंगिक रहेगा। उन्होंने वंदे मातरम पर चर्चा को लेकर सवाल उठाने और इसे पश्चिम बंगाल चुनावों से जोड़ने के लिए कांग्रेस की आलोचना की।
गृहमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रा सेनानी अपनी प्रत्येक बैठक की शुरूआत वंदे मातरम के गान से करते थे। आज भी सीमा पर वीर सैनिक वंदे मातरम के उद्घोष के साथ सर्वोच्च बलिदान करते हैं। गृहमंत्री शाह ने कहा कि राष्ट्रगीत के रचयिता बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने वंदे मातरम के माध्यम से मां के रूप में देश वंदना और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की संस्कृति स्थापित की। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम तमाम प्रतिबंधों और बाधाओं को जीतते हुए देश वासियों के हृदय तक पंहुचा है। देश की संस्कृति पर आघात करने वाले इस्लामी आक्रमणों और नई सभ्यता- संसकृति थोपने के ब्रिटेन के प्रयासों के बावजूद वंदे मातरम राष्ट्र की शक्ति बना रहा है। गृहमंत्री ने कहा कि संसद के दोनों सदनों में वंदे मातरम पर चर्चा से भावी पीढ़ियों को इसकी महत्ता और गरिमा समझने में मदद मिलेगी।
चर्चा में भाग लेते हुए राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कांग्रेस ने वंदे मातरम को नारा बनाया। उन्होंने कहा कि जब महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया तब कांग्रेस के लाखों स्वतंत्रता सेनानी वंदे मातरम गाते हुए जेल गए। श्री खरगे ने कहा कि गुरूदेव रबिंद्र नाथ टैगोर ने 1896 में कलकत्ता में कांग्रेस अधिवेशन में पहली बार वंदेमातरम गाया और तब से यह भारत के जनजीवन में प्रवेश कर गया।