संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा हो रही है।
लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के सांसद अनुराग सिंह ठाकुर ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि पिछले दस वर्षो में अर्थव्यवस्था में तेजी लाने और लोगों के कल्याण के लिए सरकार द्वारा की गई पहलों की सराहना की। उन्होंने कहा कि 25 करोड़ लोगों को गरीबी से उबारा गया है। सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज दिया है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन-यूपीए की सरकार के शासन में देश की अर्थव्यवस्था पांच सबसे कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में थी। लेकिन अब देश पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और बहुत जल्द तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। उन्होंने यूपीए सरकार पर घोटालों, पूंजीवाद का पक्षधर और नीति पंगुता का आरोप लगाया। चर्चा जारी है। इससे पहले सदन की कार्यवाही जब शुरू हुई, तो विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने नीट परीक्षा में हुई कथित अनियमितताओं के मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि देश की संसद से विद्यार्थियों को एक संदेश दिया जाना चाहिए कि नीट मुद्दा संसद के लिए महत्वपूर्ण है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि संसद की कार्यवाही नियमों और परम्पराओं पर आधारित होती है। उन्होंने विपक्ष को कहा कि कोई भी चर्चा राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के बाद ही की जानी चाहिए। विपक्षी सदस्यों ने नीट मुद्दे पर सदन से वॉकआउट किया।
राज्यसभा में आज सुबह जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो सभापति जगदीप धनखड़ ने विपक्षी सदस्यों द्वारा दिये गए स्थगन नोटिस को खारिज कर दिया। बाद में सदन ने संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा शुरू की। चर्चा में भागीदारी करते हुए विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि अभिभाषण एक दृष्टि वक्तव्य होना चाहिए कि कैसे चुनौतियों से निपटा जाए। अभिभाषण में इस तरह के बिंदुओं और दिशाओं का अभाव था। उन्होंने आरोप लगाया कि इसमें गरीब, दलित और अल्पसंख्यकों के लिए कुछ नहीं है। इसमें सिर्फ सरकार की प्रशंसा की गई है। श्री खरगे ने महात्मा गांधी, डॉ. भीमराव आंबेडकर और छत्रपति शिवाजी की प्रतिमाओं को संसद भवन परिसर में एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थापित करने पर प्रश्न उठाया। सभापति ने श्री खड़गे की टिप्पणी को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि सिर्फ आलोचना करने के लिए आलोचना करना उचित नहीं है।