राज्यसभा में राष्ट्रगीत वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर चर्चा हो रही है। गृह मंत्री अमित शाह ने कल वंदे मातरम पर चर्चा का शुभारंभ किया था।
कांग्रेस के जयराम रमेश ने चर्चा में भाग लेते हुए आरोप लगाया कि वंदे मातरम पर यह चर्चा जवाहरलाल नेहरू को बदनाम करने के उद्देश्य से की जा रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के हर सत्र में यह राष्ट्रगीत गाया जाता था।
कम्युनिस्ट पार्टी के संतोष कुमार ने कहा कि वंदे मातरम गीत भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, खुदीराम बोस जैसे हजारों स्वतंत्रता सेनानियों और नेताओं के लिए प्रेरणा स्रोत रहा है। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्र की आत्मा में बसा है और आज भी सभी को प्रेरित करता है। बीजू जनता दल के देबाशीष सामंतराय ने कहा कि वंदे मातरम गीत स्वतंत्र भारत की आवाज था।
भाजपा की रमीलाबेन बेचरभाई बारा ने कहा कि वंदे मातरम गीत ने भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराने के लिए सभी लोगों को प्रेरित किया। भाजपा के एक अन्य नेता राम चंद्र जांगरा ने कहा कि वंदे मातरम पूरे भारत के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने कहा कि 7 नवंबर 1875 को बंकिम चंद्र चटर्जी ने इसे लिखा, जो अंग्रेजों के खिलाफ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का एक सशक्त प्रतीक बन गया।
बीजू जनता दल के मानस रंजन मंगराज ने कहा कि बंकिम चंद्र चटर्जी ने न केवल वंदे मातरम गीत लिखा, बल्कि उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ राष्ट्र को जागृत भी किया। उन्होंने कहा कि यह गीत एकता तथा समावेश का प्रतीक है और वंदे मातरम को संवैधानिक मान्यता मिलनी चाहिए।
झारखंड मुक्ति मोर्चा की महुआ मंजी ने कहा कि वंदे मातरम केवल एक गीत नहीं है, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम का मूल मंत्र है। आम आदमी पार्टी की स्वाति मालीवाल ने कहा कि वंदे मातरम केवल एक गीत नहीं है, बल्कि प्रेरणा का स्रोत है जिसने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए देशवासियों को सशक्त बनाया।