केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस बात पर जोर दिया है कि आधुनिक युग में महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियों से निपटने और टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने के लिए सहयोग महत्वपूर्ण है। ऑस्ट्रेलिया-भारत रणनीतिक अनुसंधान कोष-एआईएसआरएफ के 15वें दौर के परिणामों की जानकारी देते हुए श्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि यह कोष भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच स्थायी साझेदारी का प्रमाण है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि परस्पर सहयोग से उभरी परियोजनाओं के परिणामस्वरूप पारस्परिक हित के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण वैज्ञानिक खोज और तकनीकी प्रगति होगी।
इस वर्ष, एआईएसआरएफ ने कृत्रिम मेधा तथा मशीन लर्निंग, जैव प्रौद्योगिकी, शहरी खनन और इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट रीसाइक्लिंग, अल्ट्रा कम लागत वाली सौर और स्वच्छ हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों सहित विभिन्न विषयों में पांच परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण किया है। भारतीय प्राप्तकर्ताओं में पंजाब दूरसंवेदी केंद्र, लुधियाना, दिल्ली तथा बॉम्बे के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के साथ-साथ भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर और एबजेनिक्स लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड, पुणे शामिल हैं।
हमारे संवाददाता ने बताया है कि ऑस्ट्रेलिया-भारत कार्यनीतिक अनुसंधान कोष एक द्विपक्षीय कार्यक्रम है जो ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच सहयोगात्मक अनुसंधान परियोजनाओं में सहयोग करता है। इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच वैज्ञानिक संबंधों को मजबूत करना और संयुक्त अनुसंधान प्रयासों के माध्यम से आम चुनौतियों का समाधान करना है।