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दिसम्बर 10, 2024 8:19 अपराह्न

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भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने आपराधिक न्यायालयों में सुधार की आवश्यकता पर प्रकाश डाला

भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने आपराधिक न्यायालयों में सुधार की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है। मानवाधिकार दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण- नालसा द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि कई कानूनों को अपराध मुक्त किया गया है। उन्होंने रेखांकित किया कि देश में विचाराधीन कैदियों को रखने की क्षमता 4 लाख 36 हजार, लेकिन इस समय विचाराधीन कैदियों की संख्या 5 लाख 19 हजार है।

 

    उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा चार सौ 79 का अधिनियमन इन चुनौतियों का सामना करने के लिए उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम था।

 

    न्यायमूर्ति खन्ना ने बुजुर्ग और बीमार कैदियों के लिए नालसा के विशेष अभियान का भी उल्लेख किया और कहा कि यह अभियान सुधारात्मक न्याय के लिए प्रतिबद्ध है।

 

    उन्‍होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत कानूनी सहायता के वैश्विक परिदृश्य में एक ऐसे दृष्टिकोण को अपनाते हुए प्रतिष्ठित स्थान रखता है जो अपने दायरे और महत्वाकांक्षा में वास्तव में अद्वितीय है।

 

    इस बीच विधि और न्याय राज्य मंत्री ने मानवाधिकारों और उसके मूल्यों को मजबूत बनाने के तरीकों पर आत्मचिंतन करने पर जोर दिया।

 

    कार्यक्रम के दौरान न्यायमूर्ति खन्ना ने बुजुर्ग और असाध्य रूप से बीमार कैदियों के लिए एक विशेष अभियान भी शुरू किया। इस अभियान का उद्देश्य 70 वर्ष से अधिक आयु के और असाध्य रूप से बीमार कैदियों को आवश्यकतानुसार और व्यक्तिगत-केंद्रित हस्तक्षेपों के माध्यम से जेल से रिहा होने में सहायता करना है। कार्यक्रम में न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल हुए।

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