मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति बी.आर.गवई ने न्याय प्रणाली में महत्वपूर्ण योगदान के लिए आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण-आईटीएटी की प्रशंसा की है। बी.आर.गवई ने मौजूदा चुनौतियों का सामना करने के लिए संरचना और प्रक्रिया से जुडे सुधारों पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। नई दिल्ली में आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण, भूमिका, चुनौतियाँ और आगे की राह पर आयोजित एक संगोष्ठी में, न्यायमूर्ति गवई ने पिछले पाँच वर्ष में लंबित मामलों की संख्या 85 हज़ार से घटाकर 24 हज़ार करने के लिए आईटीएटी की सराहना की।
उन्होंने कहा कि जब अदालतें और न्यायाधिकरण उचित और सुसंगत निर्णय देते हैं, तो कानून एक उपयुक्त ढाँचे के रूप में विकसित होता है। इससे नागरिक आत्मविश्वास से अपने अधिकारों का प्रयोग और अपने कर्तव्यों का पालन कर पाते हैं। न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि असंगत या विरोधाभासी फैसले न्याय प्रणाली के अधिकार को कमजोर कर सकते हैं और कानून के प्रभावी प्रशासन में बाधा डाल सकते हैं। यह बाधाएं विशेष रूप से आयकर जैसे तकनीकी और अत्यधिक विशिष्ट क्षेत्रों में हो सकती हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि 6 लाख 85 हज़ार करोड़ रुपये से संबंधित विवाद अब भी आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष विचाराधीन हैं।
इस अवसर पर केंद्रीय विधि और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि केंद्र सरकार आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण की भूमिका को मजबूत करने और न्याय प्रणाली को अधिक पारदर्शी, प्रभावी और लोगों के लिए सुगम बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।