ब्राज़ील में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (कॉप-30) में विश्व नेताओं ने एक समझौते पर सहमति व्यक्त की है। इसका उद्देश्य जलवायु संकट का समाधान करना है, लेकिन समझौते में जलवायु परिवर्तन के लिए ज़िम्मेदार जीवाश्म ईंधनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की किसी रूपरेखा का ज़िक्र नहीं है। कल रात तक चली बातचीत के बाद इस समझौते के मसौदे को मंज़ूरी दी गई।
इस समझौते में जलवायु संबंधी व्यापार बाधाओं की समीक्षा करने का संकल्प लिया गया है और विकसित देशों से विकासशील देशों को विपरीत मौसमी स्थिति से उत्पन्न घटनाओं से निपटने में सहायता के लिए दी जाने वाली धनराशि को कम से कम तीन गुना करने का आह्वान किया गया है। यह सभी हितधारकों से दुनिया भर में जलवायु कार्रवाई में तेज़ी लाने और मिलकर काम करने का भी आग्रह करता है। इसका उद्देश्य पेरिस समझौते के तहत निर्धारित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 1.5 डिग्री सेल्सियस के वैश्विक तापमान के लक्ष्य को हासिल करना है।
ब्राज़ील में संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में हुए समझौते पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ आई हैं। जलवायु विशेषज्ञों के अनुसार इस संबंध में और कार्रवाई की आवश्यकता है।
नेताओं ने इस समझौते का स्वागत किया है, लेकिन कहा है कि इस संकट से निपटने के लिए और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है। सम्मेलन में देश, विभिन्न मुद्दों पर बंटे हुए थे, इनमें जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने का प्रयास भी शामिल रहा। इसका तेल उत्पादक देशों और तेल, गैस और कोयले पर निर्भर देशों ने विरोध किया। अमरीका ने सम्मेलन में भाग नहीं लिया।