बम्बई उच्च न्यायालय ने आज निर्णायक साक्ष्य की कमी का हवाला देते हुए 2006 के मुंबई ट्रेन धमाका मामले में 12 दोषियों को बरी कर दिया है। न्यायाधीश अनिल किलोर और श्याम चांडक की एक विशेष खंडपीठ ने पांच दोषियों की मृत्यु की सजा और सात लोगों के आजीवन कारावास सहित सभी दोष सिद्धियों को रद्द कर दिया। खंडपीठ ने कहा कि दोषियों के विरूद्ध मामला साबित करने में अभियोजन पक्ष “पूरी तरह से विफल रहा है। अदालत ने निर्देश दिया कि अगर अन्य मामलों में वे वांछित नहीं है तो आरोपियों को बरी कर दिया जाएगा। ग्यारह जुलाई 2006 को हुए मुंबई ट्रेन धमाकों में 180 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई थी और सैंकडों लोग घायल हुए थे। यह मुंबई के सबसे घातक आतंकी हमलों में से एक था। यह फैसला इस त्रासदी के 19 वर्षों बाद आया है।