हिमाचल विधान सभा का मानसून सत्र मंगलवार को समाप्त हो गया। मानसून सत्र के दौरान इस बार 11 बैठकें हुई। प्रदेश विधान सभा के इतिहास में मंगलवार को समाप्त हुआ मानसून सत्र सबसे अधिक बैठकों वाला रहा। मानसून सत्र के दौरान जहां कई मर्तबा सत्ता पक्ष व विपक्ष के मध्य तीखी नोक झोंक हुई, वहीं अहम मसलों पर सहमति भी बनती दिखाई दी। सत्र के दौरान एक मर्तबा गतिरोध बना, गतिरोध को समाप्त करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने अपनी राजनीतिक व कानूनी तौर पर परिपक्वता का का परिचय दिया। यूं तो मानसून सत्र के दौरान कई अहम विधायी कार्य हुए. मगर प्रदेश की कमजोर वित्तीय हालत के मद्देनजर संसाधन जुटाने के मकसद से सरकार ने विद्युत शुल्क कानून में संशोधन किया। संशोधन को चर्चा के बाद सदन ने पारित किया। इसके अलावा प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए भी दोनों पक्षों ने अहम सुझाव दिए। फोकस फिजूलखर्ची पर नकेल कसने पर रहा।
विद्युत शुल्क संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद राज्य के बिजली उपभोक्ताओं को पर्यावरण व दूध उपकर का भुगतान करना होगा। उपकर लगने से प्रदेश में न सिर्फ औद्योगिक व व्यवसायिक , बल्कि घरेलू बिजली भी महंगी होगी।चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के सदस्यों ने संशोधन विधेयक को वापस लेने का आग्रह सरकार से किया।
संशोधनों को उचित ठहराते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार ने पहले शराब पर लगाए गए दूध उपकर से 130 करोड़ रुपये कमाए हैं। सुक्खू ने कहा कि सरकार पहले की व्यवस्था में बदलाव लाने की कोशिश कर रही हैए जहां कई मु त चीजें दी जाती थीं। अब सरकार आम आदमी पर बोझ डाले बिना राजस्व बढ़ाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि दुग्ध उत्पादकों की आर्थिकी को मजबूत करने और किसानों के उत्थान के लिए बिजली पर दूध उपकर लगाया जा रहा है।
संजौली में अवैध मस्जिद निर्माण इन दिनों अहम मुद्दा है। यह मुद्दा मंगलवार को एक मर्तबा फिर सदन में गूंजा। कांग्रेस विधायक हरीश जनार्था ने प्वाइंट ऑफ ऑर्डर के तहत अवैध मस्जिद निर्माण का मामला उठाया। जनार्था द्वारा उठाए गए मुद्दे का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश में बेतरतीब तहबाजारियों की समस्या से निपटने के मकसद से सरकार स्ट्रीट वेंडर्स पॉलिसी बनाएगी। उन्होंनो कहा कि स्ट्रीट वेडर्स नीति बनाने के मकसद से विधानसभा की कमेटी अथवा मंत्रिमंडलीय उप समिति का गठन होगा। कमेटी में अधिकारियों के अलावा सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ओर के विधायकों को शामिल किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नई स्ट्रीट वेंडर नीति में तहबाजारियों की बैकग्राउंड जांचने के बाद ही उन्हें लाइसेंस जारी किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि हिमाचल में शांतिपूर्ण सह.अस्तित्व का इतिहास रहा है। हम समाज के हर वर्ग का स मान करते हैं। उन्होंने कहा कि मस्जिद मामले में कानून अपना काम करेगा । अगर कुछ अवैध हुआ है तो तो नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
मंगलवार को सदन में गरली सहकारिता प्रशिक्षण केंद्र का मुद्दा भी गूंजा। भाजपा के बिक्रम ठाकुर ने ध्यानाकर्षण के माध्यम से यह मामला उठाया। चर्चा का उत्तर देते हुए उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि कांगड़ा के गरली में स्थापित सहकारिता प्रशिक्षण केंद्र को ऊना शिफ्ट नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जितने भी सहकारी प्रशिक्षण केंद्र हैं , सरकार उन सभी केंद्रों को मजबूत करने के लिए कदम उठाएगी।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि गरली में 1981 में सहकारी प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया गया है। इसमें 60 प्रशिणार्थियों के प्रशिक्षण व ठहरने की व्यवस्था है। उन्होंने कहा सहकारी प्रशिक्षण केंद्र गरली बिना किसी रूकावट के काम करता रहेगा और अपना उद्देश्य पूरा करता रहेगा।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में सहकारी आंदोलन की शुरूआत ऊना में वर्ष 1892 में हुई थी। हिमाचल से 133 साल पहले शुरू हुआ यह आंदोलन पूरे देश में फैल गया। उन्होंने कहा कि भारत में इस आंदोलन के शुरूआत मियां हीरा सिंह ने किया था। उन्होंने कहा कि मियां हीरा सिंह ने सोसायटी तो बना लीए लेकिन उसे रजिस्टर्ड नहीं किया। वर्ष 1904 में पहली बार सोसायटी को रजिस्टर्ड किया गया। इसके बाद पूरे देश में सहकारी आंदोलन शुरू हुआ।
उधर मंगलवार को सदन में स्कूलों के विलय का मुद्दा भी गूंजा। लाहौल स्पीति की कांग्रेस विधायक अनुराधा राणा ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से यह मामला उठाया। यूं तो ध्यानाकर्षण का उत्तर शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने दिया, मगर मामले में हस्तक्षेप करते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि सरकार प्रदेश में एक भी बच्चे को शिक्षा से वंचित नहीं रहने देगी। यह सरकार की वचनबद्धता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार गुणात्मक शिक्षा की दिशा में गंंभीरता से सुधार कर रही है। उन्होंने कहा कि हिमाचल शिक्षा के क्षेत्र में देश में 21वें स्थान पर पहुंच गया हैए जो सही नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार जल्द ही स्पीति में बोर्डिंग स्कूल की शुरूआत करने जा रही है।
इससे पूर्वए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि विद्यार्थियों की कम संख्या वाले स्कूलों का अन्य स्कूलों में विलय सरकार का साहसिक निर्णय है और इसके लिए मजबूत इच्छा शक्ति की जरूरत थी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में दो दशक में विद्यार्थियों के एनरोलमेंट में 5ण्13 लाख की भारी कमी आई है।
रोहित ठाकुर ने कहा कि स्कूलों का विलय सिर्फ हिमाचल में नहीं हो रहा हैए बल्कि पूरे देश में इस तरह का निर्णय लिया गया है। अभी तक देश में 76 हजार स्कूलों का विलय हो चुकी है और इसकी शुरूआत गुजरात से हुई है। उन्होंने कहा कि सबसे अधिक 26 हजार स्कूलों का विलय उत्तर प्रदेश में हुआ हैए जबकि मध्य प्रदेश में 13 हजारए राजस्थान में 2135ए छत्तीसगढ़ में 2918ए उत्तराखंड में 1671 और हरियाणा में 623 स्कूलों का विलय दूसरे स्कूलों में किया जा चुका है। मानसून सत्र के अंतिम दिन सदन में कई अन्य अहम मसलों पर भी चर्चा हुई। मानसून सत्र की 11 बैठकों की तलखी को पीछे छोड़ते हुए सत्ता पक्ष व विपक्ष के सदस्यों में सदैव की भांति तालमेल की झलक भी देखने को मिली। सत्र के अंतिम दिन केंद्र के पास राज्य के कर्मचारियों की एनपीएस की जमा रकम के मुद्दे पर दोनों पक्ष आमने सामने हुए। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने इस मुद्दे पर कहा कि केंद्र के पास जमा यह रकम कर्मचारियों की है। सत्ता पक्ष की तरफ से केंद्र पर करोड़ों की एनपीएस की राशि को न लौटाने का आरोप लगाया गया।