सूचना और प्रसारण सचिव संजय जाजू ने भारत के मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र की विशाल अप्रयुक्त क्षमता पर प्रकाश डाला। मुंबई में आयोजित 12वें सीआईआई बिग पिक्चर समिट 2025 में उन्होंने कहा कि देश की समृद्ध कहानी कहने की विरासत के बावजूद, भारत का वैश्विक मीडिया और मनोरंजन बाज़ार में मात्र दो प्रतिशत हिस्सा है। उन्होंने उद्योग जगत के नेताओं से इस अवसर का लाभ उठाकर अपनी वैश्विक उपस्थिति का विस्तार करने का आग्रह किया।
श्री जाजू ने बताया कि लगभग एक करोड़ लोग देश की रचनात्मक मूल्य श्रृंखला पर निर्भर हैं, जिसमें यू-ट्यूबर, डिजिटल प्रतिभाएँ, फिल्म कर्मी, प्रसारक और पोस्ट-प्रोडक्शन इकाइयाँ शामिल हैं। उन्होंने आगाह किया कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से बन रहे गाने और वीडियो पहले से ही उद्योग को नया रूप दे रहे हैं और भारत को अपनी बाजार हिस्सेदारी बनाए रखने तथा बढ़ाने के लिए उन्नत रचनात्मक तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता है।
भारत की अनूठी सांस्कृतिक पहचान पर श्री जाजू ने तीन प्रमुख रचनात्मक परंपराओं, अर्थात् मौखिक, लिखित और दृश्य परंपराओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने नव स्थापित भारतीय रचनात्मक प्रौद्योगिकी संस्थान को कौशल अंतराल को पाटने और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक अद्वितीय उद्योग-नेतृत्व वाले मॉडल के रूप में भी रेखांकित किया।
उन्होंने कहा कि सरकार की भूमिका व्यवसायों को चलाने के बजाय उन्हें सक्षम बनाना है। श्री जाजू ने “शिल्प को वाणिज्य में बदलने” के लिए उद्योग-सरकार के बीच मज़बूत सहयोग का आह्वान किया। श्री जाजू ने वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी रचनात्मक अर्थव्यवस्था के लिए प्राथमिकता नीति सुधारों पर सीआईआई श्वेत पत्र भी जारी किया।