सितम्बर 8, 2024 6:44 अपराह्न

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सुखविंदर सिंह सुकखू ने अपना ईमानदार नेतृत्व और राजनीतिक इच्छाशक्ति पेश कीः उपाध्यक्ष विनोद कुमार

हिमाचल प्रदेश संयुक्त कर्मचारी महासंघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष विनोद कुमार ने कहा है कि राज्य के वित्तीय प्रबंधन को पटरी पर लाने के लिए पूर्व मुख्यमन्त्री शांता कुमार के बाद  वर्तमान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुकखू ने अपना ईमानदार नेतृत्व और राजनीतिक इच्छाशक्ति पेश की है, जो आने वाले समय मे इस पहाड़ी राज्य की आर्थिक स्थिती को मजबूत करने की दिशा मे मील पत्थर साबित होगा!

 

सुखविंदर सिंह सुकखू की महत्त्वाकांक्षा केवल और केवल अपने राज्य के प्रति प्रतिबद्ध दिख रही है और हिमाचल इसमे सफल होता है तो यह उतर भारत मे एक रोल मॉडल होंगें! हिमाचल 85 हजार करोड के कर्ज से आगे निकल गया है, सकल घरेलु उत्पाद और ऋण का अनुपात 40 प्रतिशत से अधिक चला गया है यह हालात भविष्य का संकट है!

 

मंत्री पूर्व मंत्री विधायक, सांसद, आई ए एस, आई पी एस क्लास-1और 11 अघिकारी और दुसरे आयकरदाता को फ्री बिजली बंद कर ऐसे सुधार से 200करोङ तक की बचत होगी जबकि बिजली बोर्ड 1800 करोड का नुकसान उठा रहा है , राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 मे 950 करोड की ग्रांट बोर्ड को दी है ! बस के किराए मे सब्सिड और फ्री का सफर जैसी घोषणाए कर परिवहन निगम को करोड के घाटे मे घकेल करा राज्य की आर्थिकी को निचोड कर रख दिया है, इसके लिए पूर्व की जयराम ठाकुर[ बीजेपी] सरकार को भी कठघरे मे खङा किया जाए । 

 

       विनोद कुमार ने कहा है कि डिपुओ का राशन भी बंद होना चाहिए केवल गरीब और कमजोर तबका ही इसके लिए पात्र हो ! माननीय केवल एक पैन्शन के हकदार हो और उसकी गणना के लिए भी नियमावली तय हो! विधायको का टेलीफोन भत्ता कुल व्यय के भुगतान पर निर्धारित किया जाए! घाटे के सभी बोर्ड-निगम विभागो मे मर्ज किए जाएँ! खाद्य, खाद,तेल और अनावश्यक सब्सिड मे कटौती सरकार को करनी चाहिए! देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने इस बजट मे सब्सिड पर 7.8 प्रतिशत कटौती कर 413 करोड से घटाकर 381करोड बजट प्रावधान किया है जिसे मुख्यमन्त्री ने समझा है कि किस प्रकार सरकारी व्यय को स्ट्रीम लाईन किया जाए। 
 
 
            सरकारी गाडियो पर खर्चा एक बड़ अपवाद है जिस पर सरकार को शीघ्र नकेल लगानी चाहिए। शनिवार और रविवार को सरकारी गाडिया बंद रहनी चाहिए। गाड़ी का तेल और उन पर रिपेयर का खर्चा हैरान कर देता है यह सबसे बडी फिजूलखर्च है और हेराफेरी भी!
 
 
सख्त वित्तीय किफायत निर्देशावली वित विभाग से जारी होनी चाहिए, पूर्व सरकार के समय जारी वित्तीय निर्देशावली की समीक्षा कर उसे वापस लिया जाए, उसके प्रावधान निचले अधिकारियो तक फिजूलखर्च और अनियमितताओं को बढ़वा देने वाले है! सेवा विस्तार और  रिप्लाई मेंट जैसी प्रथा बंद की जाए, केवल राज्य के लिए जरूरी सेवाओ की स्थिती मे सेवा नियम एफ आर 56 डी के अन्तर्गत ही ऐसा किया जाना आवश्यक हो तो सरकार करे!