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अगस्त 5, 2024 5:36 अपराह्न

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सिडडू और शनोल बनाकर धूमधाम से मनाया हरियाली उत्सव

जुन्गा के क्योंथल क्षेत्र में शनोल त्यौहार रविवार  को पारंपरिक ढंग के साथ मनाया गया। लोगों द्वारा अपने घरों में इस पावन पर्व पर विशेष व्यंजन के रूप में मीठे और नमकीन सिडडू  बनाए गए और अपने भाई बंधुओं में बांटे गए। लोगों द्वारा अपने कुल इष्ट मंदिर में भी देवता का आर्शिवाद प्राप्त किया। बारिश की फुहारों में सिडडू को घी व दही से खाने का अलग ही आन्नद आता है। शनोल अर्थात हरियाली पर्व क्योंथल क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति का परिचायक है जिसे लोग इस वर्ष बड़े उत्साह से मनाते हैं।

 

बता दें कि हिमाचल निर्माता डॉ0 वाईएस परमार का जन्म भी शनोल अर्थात हरियाली  पर्व के दिन हुआ था जिसे लोग बहुत शुभ मानते हैं। श्रावण मास के 20 प्रविष्टे का दिन क्योंथल क्षेत्र के अतिरिक्त सीमा पर लगते सिरमौर और सोलन  के  क्षेत्र में हर वर्ष शनोल त्यौहार के रूप में मनाया जाता है।

 

लोग इस त्यौहार को कालांतर से मनाते आ रहे हैं इस दिन देव पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। शनोल पर्व पर अनेक गांव में मेले का भी आयोजन किया जाता है। पीरन के दूड़मूं तथा ट्रहाई गांव के कोट पर भी अतीत में शनोल त्यौहार पर कुश्ती काआयोजन किया जाता था पंरतु बदलते परिवेश में यह मेले बंद हो चुके है। इसी प्रकार नेई नेटी में हर वर्ष शनोल के अवसर पर मेले का अतीत से आयोजन किया जाता रहा है। जिसे दो वर्ष के कोरोना काल के अंतराल के उपरांत इस वर्ष मनाया जा रहा है।

 

वरिष्ठ नागरिक प्रीतम ठाकुर ने बताया कि शनोल उत्सव पर पारंपरिक व्यंजन बनाने का विशेष महत्व होता है लोग इस दिन मीठे और नमकीन सिडडू बनाते हैं जिसे घी और दही के साथ खाया जाता है। इनका कहना है कि यह हरियाली पर्व कालांतर से मनाया जा रहा है जिसमें महिलाएं विशेष रूप से मेहंदी लगाती है। लोग अपने कुलईष्ट के मंदिर में देवी देवता का आर्शिवाद प्राप्त करते हैं।

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