सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि भ्रामक विज्ञापन को लेकर वह गंभीर है। शीर्ष न्यायालय ने भ्रामक विज्ञापनों के प्रकाशन को लेकर पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ लंबित अवमानना मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि वह मात्र पतंजलि आयुर्वेद के लिए ही नहीं, बल्कि जनहित में उन सभी उपभोक्ता कंपनियों के प्रति भी चिंतित है जो भ्रामक विज्ञापनों का सहारा लेती हैं।
न्यायालय ने एलोपैथिक डॉक्टरों की शिकायतों के संबंध में याचिकाकर्ता-इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को भी चेतावनी दी।
इसके अलावा, शीर्ष न्यायालय ने केंद्रीय मंत्रालयों को पिछले तीन वर्षों में भ्रामक विज्ञापनों पर सरकार द्वारा की गई कार्रवाई के संबंध में हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया।