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अगस्त 20, 2024 9:33 अपराह्न

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सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय कार्यबल गठित किया

 

 

सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने देशभर में डॉक्टरों, नर्सों और पैरा मेडिकल कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक राष्‍ट्रीय कार्यबल का गठन किया है। मुख्‍य न्‍यायधीश डी.वाई. चन्‍द्रचूड के नेतृत्‍व वाली पीठ ने कोलकाता के अस्‍पताल में एक डॉक्‍टर से दुष्‍कर्म और हत्‍या के मामले की सुनवाई के दौरान कार्यबल को तीन सप्‍ताह के भीतर अपनी अंतरिम और दो महीने के भीतर अंतिम रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। मुख्‍य न्‍यायधीश ने कहा कि कार्यबल में देशभर से कई डॉक्‍टरों को शामिल किया गया है ताकि वे महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी दिशा-निर्देश तय करने की प्रक्रिया के बारे में सुझाव दे सकें। 

न्‍यायालय ने इसके साथ ही अधिकारियों को यह आदेश भी दिया कि वे दुष्‍कर्म पीडिता के नाम, फोटो और वीडियो से संबंधित सामग्रियों को तत्‍काल सोशल मीडिया प्‍लेटफार्म से हटा दें। न्‍यायालय ने कोलकाता के आर जी कार अस्‍पताल में रेजीडेंट डॉक्‍टरों और विशेष रूप से महिला डॉक्‍टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केन्‍द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल की टीम तैनात करने का भी आदेश दिया।

पीठ ने मामले से निपटने के पश्चिम बंगाल सरकार और अस्पताल के अधिकारियों के तौर तरीकों पर गहरी नाराजगी व्‍यक्‍त की। मुख्‍य न्‍यायाधीश चंद्रचूड़ ने इस सबंध में प्रक्रियागत खामियों की आलोचना की और इस बारे में  विशेष रूप से घटना की प्राथमिकी दर्ज करने में की गई देरी और अस्पताल प्रशासन और स्थानीय पुलिस द्वारा अपराध स्थल को लेकर उचित कार्रवाई नहीं करने पर नाराजगी जाहिर की।

देश भर में डॉक्टरों और चिकित्सा पेशेवरों के असुरक्षित कामकाजी माहौल पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए शीर्ष न्‍यायालय ने कहा कि मौजूदा कानून डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त नहीं हैं। न्‍यायालय ने कहा कि उसने प्रणालीगत मुद्दों के समाधान के लिए महिला डॉक्‍टर के साथ दुष्‍कर्म और हत्‍या के मामले का स्‍वत: संज्ञान लेते हुए कानूनी कार्यवाही शुरु की है। 

न्‍यायालय ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र, केरल, तेलंगाना आदि जैसे कई राज्यों ने डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए कानून बनाए हैं। हालाँकि, ये कानून पर्याप्‍त नहीं है।